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एस धम्मो सनंतनो ____ मैंने कहा, मेरा शास्त्र यही कहता है, ध्यान ठीक हो जाए तो आचरण अपने से ठीक हो जाता है। प्रार्थना जम जाए तो प्रेम अपने से जम जाता है। थोड़ी सी सुगंध अपनी आने लगे, तो कौन उसे भुलाना चाहता है ? मैंने कहा, तुम फिक्र न करो, तुम पीए जाओ। उन्होंने कहा, तो बनेगी यह दोस्ती।
पर उन्होंने बड़ी संलग्नता से, बड़ी तल्लीनता से ध्यान किया। वे आदमी साहसी थे। उन्होंने बड़ी मेहनत...अपना सारा सब कुछ लगाकर ध्यान किया। जैसे उन्होंने शराब पर सब गंवा दिया था, ऐसे ध्यान पर भी गंवा दिया।
जुआरियों से मेरी बनती है, दुकानदारों से नहीं। व्यवसायी से मेरा तालमेल नहीं बैठता। हिसाबी-किताबी से बड़ी अड़चन हो जाती है। क्योंकि ये बातें ही हिसाब-किताब की नहीं हैं। और जब मैंने उनसे कह दिया कि तुम निर्भय रहो। मैं अपने मुंह से तुमसे कभी न कहूंगा कि शराब छोड़ो। तुम पीयो। मेरा जोर ध्यान करने पर है। शराब से मुझे क्या लेना-देना? ___ मैंने अपना वचन निभाया तो उन्होंने भी अपना वचन निभाया। उन्होंने ध्यान बड़ी ताकत से किया। लेकिन सालभर बाद वह मुझसे आकर कहने लगे कि धोखा दिया। शराब तो गई! पीना मुश्किल होता जा रहा है। रोज-रोज मुश्किल होता जा रहा है। ___ मैंने कहा, मुझसे बात ही नहीं करना शराब की। वह हमने पहले ही तय कर लिया था कि हम बात न करेंगे। वह तुम जानो। अब तुम्हारी मर्जी। अगर ध्यान चुनना हो तो ध्यान चुन लो, शराब चुननी हो शराब चुन लो। चुनाव की अब सुविधा है। अब दोनों सामने खड़े हैं। अब दोनों रसों का स्वाद मिला। अब चुन लो। अब तुम जानो। अब मुझसे मत बात करो। मेरा काम ध्यान का था, वह पूरा हो गया। उन्होंने कहा, अब तो असंभव है लौटना पीछे। और अब तो सोच भी नहीं सकता कि ध्यान को छोडूंगा। अब तो अगर शराब जाएगी तो जाएगी। __और शराब गई! शराब को जाना ही पड़ेगा। जब बड़ी शराब आ गई, कौन टुच्ची बातों से उलझता है? जब विराट मिलने लगे तो कौन ठीकरे पकड़ता है?
तुम धन को पकड़ते हो, क्योंकि तुम्हें असली धन की अभी कोई खबर नहीं। मैं तुमसे धन छोड़ने को नहीं कहता, असली धन खोजने को कहता हूं। तुम पकड़े रहो धन को, इससे कुछ बनता-बिगड़ता नहीं है। यह इतना बेकार है, इससे कुछ बनता नहीं, बिगड़ेगा कैसे? तुम पीते रहो शराब, इससे कुछ बनता-बिगड़ता नहीं है। इससे बनता ही नहीं तो बिगड़ेगा कैसे?
इस बात को ध्यान रखना कि जिस चीज से कुछ बनता है, उससे कुछ बिगड़ता है। हां, गलत ध्यान करोगे तो बिगड़ेगा। ठीक ध्यान करोगे तो बनेगा। सपना अच्छा देखो कि बुरा, क्या फर्क पड़ता है ? सपने से कुछ बनता-बिगड़ता नहीं। तुम सपने में साधु हो जाओ तो क्या फायदा? और तुम सपने में हत्यारे हो जाओ तो क्या हानि?
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