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लाभ-पथ नहीं, निर्वाण-पथ
भी झूठ का सहारा न रहे, किसी भी झूठी धारणा का आसरा न रहे तो तुम पाओगे, मूढ़ता को बचने की जगह न बची। यह चट्टान साफ हो जाएगी। इसे हटाना कठिन न होगा। अभी तो कोई दूसरा भी इसे हटाने आए तो तुम हटाने नहीं देते। ।
मूढ़ता बड़ी मुखर है और बड़ी तर्कनिष्ठ है। मूढ़ता का अपना दर्शन है, अपने फलसफा हैं। और इस तरह की तरकीबें मूढ़ता निकाल लेती है, वे इतनी कुशल हैं कि कुशल से कुशल आदमी भी धोखे में आ जाए।
__ समझ तो ली है दुनिया की हकीकत
मगर अब अपना दिल बहला रहा हूं जिसने दुनिया की हकीकत समझ ली हो, वह दिल बहलाएगा?
समझ तो ली है दुनिया की हकीकत संसार का सत्य जान लिया; फिर कोई दिल बहलाएगा?
मगर अब अपना दिल बहला रहा हूं यह बात तो ऐसे ही हुई कि जाग तो गए, पहचान तो लिया कि सपना सपना है, लेकिन अभी भी देखे जा रहा हूं। यह कैसे संभव है? जाग तो गए, पहचान गए कि हाथ में कंकड़-पत्थर हैं, हीरे-जवाहरात नहीं, अब भी मुट्ठी बांधे हैं।
___ मगर अब अपना दिल बहला रहा हूं
कौन बहलाएगा दिल? नहीं, पहली बात झूठ होगी। लेकिन यह भी मानने का मन नहीं होता कि मैंने संसार की असलियत को नहीं जान लिया है। लोग कहे चले जाते हैं कि सब जान लिया। कुछ सार नहीं संसार में। फिर क्यों, फिर कैसे उलझे हो? फिर कहां उलझे हो? नहीं, तुम यह भी नहीं मानना चाहते कि हमें पता नहीं है। _ समझ तो ली है दुनिया की हकीकत
मगर अब अपना दिल बहला रहा हूं ऐसे धोखे मत देना। न समझी हो तो समझना कि नहीं समझी है। समझी हो तो फिर कोई दिल नहीं बहलाता। जब समझ में आ जाए बात, जब समझ ही आ जाए लो जिसे तुम दिल कहते हो और दिल का बहलाना कहते हो, वे बचते ही नहीं। वे तुम्हारी नासमझी में ही बचते हैं। तुम्हारे अंधेरे साए में ही बचते हैं। जब सत्य का प्रकाश तुम्हें घेर लेता है तो तुम्हारे आसपास कोई अंधेरा नहीं टिक सकता।
खयाल रखना, ये बातें किसी और के लिए नहीं हैं; तुम्हारे लिए हैं-सीधी तुम्हारे लिए। गौर से देखना कि तुमने अपनी मूढ़ता को किस ढंग से बचाया है। हर . आदमी के ढंग अलग हैं।
रंगे-निशात देख मगर मुतमइन न हो
शायद कि यह भी हो कोई सूरत मलाल की बड़ी रंगरेलियां चल रही हैं।
रंगे-निशात देख मगर मुतमइन न हो
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