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मौन में खिले मुखरता
पर जाने को आतुर हो जाएं। असल में दुनिया अपनी रक्षा करती है, क्योंकि तुम्हें देखकर औरों के मन में भी उठती है आवाज । लेकिन तब बड़ा हेर-फेर करना पड़ेगा । जिंदगी का ढांचा बदलना पड़ेगा। वह जरा ज्यादा मुश्किल है।
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तुम पागल हो - ऐसा तुम्हें पागल कहकर आदमी निश्चित हो जाते हैं कि पागल है, छोड़ो भी उसकी बात। मेरे संन्यासियों को लोग पागल ही समझते हैं । पागल हैं, उनकी बात ही मत सुनो - ऐसे वे तुम्हें पागल कह रहे हैं, यह नहीं है । ऐसे वे इतना ही कह रहे हैं कि आकर्षित तो वे भी हो रहे हैं, लेकिन भयभीत हैं, कमजोर हैं, कायर हैं । तुम्हें पागल कहकर वे अपने को बचाने की कोशिश कर रहे हैं। तुम अगर पागल सिद्ध हो जाओ तो यह झंझट मिटे, अन्यथा तुम उन्हें भी बुलाए ले रहे हो ! उन्हें भी तुम आकर्षित किए ले रहे हो ! उन्हें भी तुम खींचे ले रहे हो ! उस खिंचाव को झुठलाने के लिए, उस आकर्षण से बच जाने के लिए वे तुम्हें पागल घोषित कर रहे हैं।
पहले चुप था, फिर हुआ दीवाना...
लेकिन यह 'दीवाना' दोहरा अर्थ रखता है। लोग पागल कहें या न कहें, जो चुप होता है वह एक अर्थ में दीवाना हो ही जाता है । किस अर्थ में दीवाना हो जाता है ? इस अर्थ में दीवाना हो जाता है कि चुप होने के साथ ही साथ वह समाज के घेरे के बाहर पड़ने लगता है, मुक्त होने लगता है।
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जैसे ही तुम चुप होते हो, तुम इतने बलशाली होने लगते हो कि समाज की निर्भरता तुम छोड़ने लगते हो। और तुम्हारे जीवन में एक मस्ती आती है जो केवल दीवानों के जीवन में होती है; तुम्हारे चेहरे पर एक नई रौनक आ जाती है; तुम्हारी आंखें किसी और ही ओज से भर जाती हैं; तुम्हारे पैर चलते हैं, जमीन पर पड़ते नहीं; जैसे तुम हर-हमेश किसी नशे से भरे हो !
आज की सुबह मेरे कैफ का अंदाज न पूछ दिले-वीरां में अजब अंजुमन आराई है
मत पूछ मेरी मस्ती का हिसाब ! उजड़े हुए हृदय में कोई अजीब महोत्सव हुआ है, कोई नई धुन बजी है !
दीवाने तो तुम हो ही जाओगे। पागल तो तुम मालूम होने ही लगोगे । पर यह पागलपन चुनने जैसा है। यह पागलपन करने जैसा है । तुम्हारी सारी होशियारियां भी इकट्ठी होकर इस पागलपन के एक कतरे का भी मुकाबला नहीं कर सकतीं । तुम्हारी बुद्धिमत्ता दो कौड़ी की है। क्योंकि जिसने पागल होना जाना, उसने ही परमात्मा का होना भी जाना ।
फिर हुआ दीवाना, अब बेहोश है
और फिर तीसरी घड़ी भी आती है। जब तुम नहीं रहते, तुम बचते ही नहीं । उसी घड़ी को 'बेहोश' कहते हैं । बेहोशी का मतलब यह नहीं है कि तुम्हारा होश खो जाता
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