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अत्याचार करने वालों और अत्याचार को तटस्थ-भाव से यों ही देखते रहने वालों को भी । अत्याचार करना जितना बुरा है उतना ही - अपितु उससे भी कहीं अधिक बुरा, है, मूक भाव से अत्याचारों को देखते रहना । मानवता का तकाजा है, हर स्थिति में अन्याय-अत्याचार का प्रतिकार होना ही चाहिए - अवश्य होना चाहिए | धन्य हैं वे, जो न स्वयं अत्याचार करते हैं और न अन्यकृत अत्याचारों की उपेक्षा करते हैं, अपितु समय पर अत्याचारों का उचित प्रतिकार भी करते
जुलाई १९८४
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