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मानव को बुराईयों एवं दुर्गुणों से मुक्त कर सकता है । आज सब ओर, जो नैतिक मूल्यों में गिरावट आ रही है, आध्यात्मिक धर्म ही उसे विना किसी तनाव या दबाव के रोक सकता है । नैतिकता धर्म का ही समाज में प्रतिफलित होने वाला बाह्य रूप है । आध्यात्मिकता के अभाव में नैतिकता की कल्पना आकाश-कुसुम की कल्पना से भिन्न नहीं है । इसी आध्यात्मिक धर्म के प्रति भगवान महावीर ने कहा - " धम्म सरणं पवज्जामि" भगवान् बुद्ध ने कहा - " धम्म सरणं गच्छामिः""
अगस्त १९८४
(३१९)
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