________________
और तत्काल प्रण किया कि जब तक माता पिता जीवित रहेंगे मैं उनके समक्ष दीक्षा ग्रहण नहीं करूंगा । मेरे वियोग से इनको शोक की अत्यन्त असह्य संवेदना होगी । गर्भ स्थिति में इस प्रकार का संकल्प सूचित करता है कि उनकी क्षायोपशमिक चेतना कितनी अधिक विशिष्ट थी ।
महाभारत काल के सुप्रसिद्ध धनुर्धर अर्जुन के पुत्र अभिमन्यु के सम्बन्ध में भी कहा जाता है कि जब वह माता सुभद्रा के गर्भ में था, तब रात्रि काल में सुभद्रा के आग्रह पर अर्जुन चक्रव्यूह युद्ध की रचना सुना रहे थे । चक्रव्यूह क्या होता है, उसकी युद्ध काल में रचना कैसे की जा सकती है यह सेना का एक ऐसा विशिष्ट संयोजन होता है कि वह अभेद्य हो जाता है, उसे कोई यूँ ही तोड़कर उसमें प्रवेश नहीं कर सकता, किन्तु चक्रव्यूह का कोई विशिष्ट ज्ञाता हो, तो वह उसमें अमुक विधि से प्रवेश कर सकता है । कहा जाता है कि सुभद्रा चक्रव्यूह में प्रवेश करने की बात सुनते-सुनते निद्राग्रस्त हो गई, फलतः चक्रव्यूह में प्रवेश के बाद उसे भेदन कर निकल आने की अगली स्थिति नहीं सुन पाई । गर्भ में रहा हुआ अभिमन्यु भी यह सब सुनता रहा, और मन में इस प्रक्रिया को ठीक तरह स्मृति में रखता रहा । कहा जाता है कि महाभारत युद्ध में अभिमन्यु चक्रव्यूह को भेदन कर उसमें प्रवेश तो कर गया, किन्तु निकल नहीं पाया । यह कथा सूचित करती है कि गर्भस्थ मानव शिशु भी कभी कोई क्षयोपशम विशेष से विशिष्ट ज्ञान चेतना का धनी हो जाता है ।
भगवती सूत्र में भी एक ऐसे ही प्रसंग का उल्लेख है, जिसमें गर्भस्थ शिशु अपने पिता पर आक्रमण की बात सुनकर क्रोधाविष्ट हो जाता है, और पिता की रक्षा के लिए उद्यम करने लगता है ।
और भी इतिहास के कहिए, अथवा पौराणिक कहिए, अनेक उदाहरण इस प्रकार के मिलते हैं । साधारण व्यक्ति इस प्रकार के उदाहरण पर प्रायः कम ही विश्वास करता है, परन्तु मानवीय ज्ञान - चेतना के विकास की चमत्कारिक गाथाएँ उन्हें यूँ ही अविश्वस्त मान कर ठुकराया नहीं जा सकता । पुरातन प्रमाणों को एक ओर रख दें, तब भी वर्तमान काल की भी कुछ घटनाएँ समाचार पत्रों के माध्यम से इसी रूप में प्राप्त होती हैं ।
. (३५९)
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org