Book Title: Chintan ke Zarokhese Part 2
Author(s): Amarmuni
Publisher: Tansukhrai Daga Veerayatan

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Page 255
________________ उठाओ | उनका यह दिव्य संदेश है " संबुझह किं न बुझह, संबोहि खलु पेच्च दुल्लहा ।" जागो, उठो, बोध को प्राप्त करो । अभी समय है जागने का, बोध प्राप्त करने का । मरने के बाद संबोधि को प्राप्त करना दुर्लभ है, कठिन है । श्रमण भगवान महावीर का यह संदेश महत्त्वपूर्ण है । कदम कदम पर मंगल और कल्याण के पुष्प' लाने वाला है । यह दिव्य ध्वनि काँटों को पुष्प में परिवर्तित करने वाली है । इस दिव्य संदेश के अनुरूप जीवन बनाएँगे, जागृत हो कर सत्कर्म के पथ पर गति करेंगे, निरन्तर बढ़ते रहेंगे, तो स्वयं भी ज्योतिर्मय बनेंगे और दूसरों के जीवन को भी प्रकाश से भर देंगे । (५०६) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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