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नूतन वर्षाभिनन्दन
नूतन वर्ष आ गया है! १९८७ स्वागत कीजिए | श्रद्धा और सम्मान के साथ । नूतन, जीवन की नई दिशा का, नए निर्माण का प्रतीक है, अत: सभी भाँति स्वागतार्ह है यह ।
वर्ष की परिकल्पना एक मात्र मानव जाति में ही है, अन्यत्र कहीं भी नहीं है । यहाँ तक कि देव जाति में भी नहीं है । मनुष्य ही है, जो एक-से-एक भव्य और उदात्त कल्पनाओं का सृष्टा देवता है | काल-खण्ड के साथ अपने जीवन को जोड़ा है उसने । वह अतीत के काल-खण्ड को पीछे छोड़ देता है, उस बीते अतीत में से जो प्रेरणाप्रद जीवित अंश बच रहता है और वर्तमान के नव-निर्माण में सहायक होने जैसा होता है, उसे ग्रहण कर लेता है, और शेष मृतांश को पीछे की ओर फेंक देता है । यह है, उसके नए-पुराने वर्षों की परिकल्पना का गणित ।
अतीत का वर्ष जैसा भी था, गुजर गया है । उसका अधिक भाग किसी का सुख में गुजरा होगा और किसी का दु:ख में । किसी का फूलों में गुजरा होगा, किसी का काँटों में । किसी का हँसने में गुजरा होगा, तो किसी का रोने में। कुछ भी हो, जो भी जैसा भी था, अब चला गया है वह । अब पुरानी स्मृतियों में अपने मन को उलझाए रखने में, और पुराने विकल्पों के जंगल में अपने मन को खोये रखना, कोई अच्छी बात नहीं है । तुम्हें अपने जीवन-पथ पर सीधे पैरों से चलना है, उल्टे पैरों से नहीं ।
आप पुण्यशाली हैं, इसलिए कि पुराने वर्ष में से गुजर कर आपने नए वर्ष का नवप्रभात देखा है । नूतन सूर्योदय का दर्शन किया है । अन्यथा, कुछ आपके ही ज्ञात या अज्ञात ऐसे अनेक साथी रहे हैं, जो अब इस नव वर्ष के नव
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