Book Title: Bruhad Dravya Sangraha
Author(s): Bramhadev
Publisher: Ganeshprasad Varni Digambar Jain Sansthan

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Page 21
________________ * तत्ति शेषाः XII ] वृहद्रव्यसंग्रहः [शुद्धि-पत्र पृष्ठ पंक्ति अशुद्ध पृष्ठ पंक्ति अशुद्ध २०५ १० कम्मो कम्मो १५८ ७ देशान्तार देशान्तर २०६ २ भवान्तरिताः । भवान्तरिता* १५६६ सप्तत्त्वा सप्ततत्त्वा २०६ ३१ x *'स्वभावान्तरिताः' १६१ २ तित्ति इत्यपिपाठः। २११ ३ परमेष्ठी परमेष्ठि १६३ १३ शदृशैः सहशैः २१३ १० चैचन्य चैतन्य १६४ २ गोतम गौतम २१४ ७ सम्बधं सम्बन्धं १६४ १२ शेषः २१४ १० स्वाध्यास्त स्वाध्यायस्त १६६ ८ ल-क्षण लक्षण २१५ १ रयण्त्तय रयगत्तय १६८ ७ रावणा रावण २१५ ५ बाह्यभ्यन्तर बाह्याभ्यन्तर १७१ १ बस्त्राप्रावरणं 'वस्त्राप्रावरणं २१८ ५ णिच्छियं णिच्छयं १७१ १२ पुनस्तम्यैव पुनस्तस्यैव २१८ १४ परमेष्ठिया परमेष्ठथा १७१ ३१ x १. 'वस्त्रप्रावरणं' इत्यपि पाठः २१८ १७ भगवात् भगवान् १७३ २ परित्युक्त परित्यक्तु २१८ २० निःपृह निष्पृह १७३ ७ परमात्व परमात्म २२० ६ विवेकी विवेकि १७६ ७ गतिमुत्पन्न गतिसमुत्पन्न २२२ ३ ज्ञानोत्पत्ति ज्ञानोत्पत्ति १७६ ७ प्रथमानोयोगो प्रथमानुयोगो २२६ ५ कस्मादित कस्मादिति १८० १३ बध""रूपं, वध रूपं २२८ १३ मुक्त भुक्ते १८२ ११ शास्त्रा शास्त्रा २२६ ५ संवेरे संवरे १८५ ७ मनः पर्पय मनः पर्यय २३१ १ कमेव कभावेन १८७ ६ काणेना कारणेना २३२ ६ लक्षणं लक्षणं १६१ १० घादादो घातादौ २३३ १५ परिहार्थ परिहारार्थ १६४ १४ द्वियीय द्वितीय २३५६ पदेश पदेश (स) १९८ ४ परम २३६ १८ प्ररिणयाण परिणयाण १६६ २० 'पृथक्त्व 'पृथक्त्ववितर्क २३६ २५ गच्छांता गच्छता २०० १५ सूक्क सूक्ष्म २३८ १६ बिणिम्मुक्को विणिम्मुक्को २०३६ उझाया।मुणिणो माया मुणिणो। २३६ २१ ठाण ठाण (ताण) २०४ १३ परमेष्टिनां परमेष्ठिनां २४८ २/२७ भा.सं. ६४ भा.सं.६६४ नोट:-'व' के स्थान पर 'ब' और 'ब' के स्थान पर 'व' तथा :' के स्थान पर "छप गया है । भाषा टीका में गाथा के उद्धृत वाक्यों में यदि अशुद्धि हो तो उनको गाथा अनुसार शुद्ध करके पढ़ने की कृपा करें। INTELLEEEEEEEEEEE परम् +TO+ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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