Book Title: Bruhad Dravya Sangraha
Author(s): Bramhadev
Publisher: Ganeshprasad Varni Digambar Jain Sansthan

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Page 19
________________ [ XI . . . * * x » * * इष्वाकार सहस्रयोजन घट अथण "सूत्रे त्रिशत तां विज्ञेयः विंशत्य परिवेष्ट्य मेरू सानत्कुमार ब्रह्मोत्तर इगतीस शुद्धि-पत्र] पृष्ठ पंक्ति अशुद्ध ७४ ६ उत्तवं ७४ ७ “परिणाम" ७५ १ परिणमाभ्यां ८० ५ परिणामति ८० ५ निश्चपेन ८२ ७ सभ्यग्दृष्टस्तु ८२ १० परमत्थे ८३ ६ ता ८८ १२ विज्ञेयेः १० ३ पवेसनं ६६ ७ लक्षण ६६ २ तास्तेया . ज्ञान दर्शन १०० १० भावशुद्विः १०४ २६ द्रव्यासंसार १०५ १३ श्रेण्य १०६ ११ मध्यमानि १०७ ८ अस्थि १०७ ६ सु पउरा १०८ ६ परमोबन्धु १११ ३ मालवा ११२ ८ निर्जरानुप्रेक्षा ११२ १. गले ११४ ७ मध्य ११५ ५ कोऽर्थ ? ११७ ५ षटकं ११६ ४ पश्चमाणणं ११६ ५ मासुरो १२० ६ ससुद्र१२० १२ संख्ये १२१ २ वंशा१२३ ६ गजदन्व १२४ ४ सहस्त्रा १३० १० छष्प""बोधव्या वृहद्व्यसंग्रहः शुद्ध | पृष्ठ पंक्ति अशुद्ध उत्तरं (रे) १३१ ३ इक्ष्वाकार "परिणामि" १३१ ५ सहस्त्रपरिणामाभ्यां १३२ १६ योजग परिणमति १३४ ३० घट निश्चयेन १३६ ३ चन्द्रास्य सम्यगदृष्टस्तु १३६ ८ अत्थएण""सुनो परमत्थे १३६ त्रिंशत १३६ १३ विशत्य १३७ १० परिवेष्ट्य पवेसणं १३६ १ मेरु लक्षण १३६ ३ सनत्कुमार तस्तेया १४० ४ ब्रह्माोत्तर ज्ञानदर्शन १४० ७ इगत्तीस भावशुद्धिः १४० ७ दोणिएद्रव्यसंसार १४० २३ अनुदिशा श्रेण्य १४३ १ इंदियवसदा मध्यमानि १४३ ६ वोधि अस्थि १४३ २३ प्राणमुखता सुपउरा १४४ ६ णिच्चदर परमो बन्धु १४५ ४ रत्नत्रत १४७ ३ छेदोपस्थानम् मारवा १४७ १६ पृवक्त्व गलने १४८ ६ तानी मध्ये १४६ ११ तस्सडनं कोऽर्थः १ . १५० २ इत्याध्याहारः षट्कं १५१ १ ज्ञानिनानामपि १५१ २ तत्रौत्तरम् मसुरो १५१ ४ कारनेन समुद्र १५२ ८ हारणं संख्येय १५२ २० राग आदिक वंशा १५३ ४ ताथा गजदन्त १५३ १३ सर्वकामु सहस्रा १५६ १ भावितकाल छप्प"बोधव्वा १५६ ७ षष्ठम दोषिणएअनुदिश इंदियवसदा य बोधि पराङमुखता णिच्चिदर रत्नत्रय छेदोपस्थापनम् पृथक्त्व व्याख्यानं तानि तत्सडनं इत्यध्याहारः ज्ञानिनामपि तत्रोत्तरम् कारणेन हारो *~* « n & n n n n 6 * » « an in an * 6 6 « » » निजेरानुप्रेक्षा १५८ ७ व्याख्यान तद्यथा सर्वकालमु भाविकाल षष्ठ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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