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परिभाषत। +५+ अ, इन छओं का मोल वही है जो अ.और ५क के योग में 8 गीत घटाने से बचता है। ___ (३) जिस संयुक्त पद में दो या तीन इत्यादि के समको क्रम से द्वियुक्पद वा त्रियुक्पद इत्यादि कहते है जिस में हर केवल पद रहते हैं उस को बहुयुक्पद कहते है। जैसा । अ+ क यह द्वियुक्पद है। . अ- २ अय + ५य यह त्रियुक्पद है। अ- ४ क+५ग - घ यह चतुर्युक्पद है ।
और अ-२+३१-४ च+५छ-दू० यह बयुक्पद है। ११। जिन के अतर और वर्गादिक समान हैं वे पद सजातीय कहलाते हैं। जैसा । ३अ, ७ अ, वा,-५ अय, अय, ७ अय ।
१२। जिन के अतर और वर्गादिक भिवरूप हैं वे पद विजा. तीय कहलाते हैं। जैसा । ७ अ,५क, वा, ३ अ, ६ अय, ८ अरे। ..
१३। जो चिह सब धन वा सब गुण हैं वे सजातीय हैं। १४। विजातीय चिह्न वेही हैं जो कुछ धन और कुछ क्षण हैं। १५। जब किसी पद का मोल अव्यक्त रहता है तब उस मोल को उन्मिति कहते हैं और जब वह मोल ज्ञात रहता है तब उस को मान कहते हैं।
१६ । किसी पद के स्थान में उसी पद के उन्मिती के वा मान के रखने की क्रिया को उत्यापन कहते हैं।
१७। अब इस परिभाषा का अच्छा ज्ञान होने के लिये अलग २ चिह्नों से जुड़े हुए पदों का समुदित मान उत्थापन से जानने के लिये
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