Book Title: Bharatiya Sanskruti me Jain Dharma ka Yogdan
Author(s): Hiralal Jain
Publisher: Madhyapradesh Shasan Sahitya Parishad Bhopal
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जैन साहित्य
द्वारा भारतीय साहित्य की किस प्रकार परिपुष्टि हुई है। उसका शेष भारतीय धारा से मेल भी है, और भाषा, विषय व शैली सम्बन्धी अपना महान् वैशिष्ट्य भी है जिसको जाने बिना हमारा ज्ञान अधूरा रह जाता है । जैन साहित्य अभी भी न तो पूरा-पूरा प्रकाश में आया और न अवगत हुआ। शास्त्र-भंडारों में सैकड़ों, आश्चर्य नहीं सहस्त्रों, ग्रंथ अभी भी ऐसे पड़े हैं जो प्रकाशित नहीं हुए, व जिनके नाम का भी पता नहीं है । प्रकाशित साहित्य के भी आलोचनात्मक अध्ययन, अनुवादादि के क्षेत्र में विद्वानों के प्रयास के लिये पर्याप्त अवकाश है।
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