Book Title: Bharatiya Sanskruti me Jain Dharma ka Yogdan
Author(s): Hiralal Jain
Publisher: Madhyapradesh Shasan Sahitya Parishad Bhopal

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Page 425
________________ ४१२ भारतीय संस्कृति में जैनधर्म का योगदान १८० विषापहार स्तोत्र (धनञ्जय)-चन्द्रकीर्ति टीका, नाथूराम प्रेमी कृत पद्यानुवाद व पं. पन्नालाल कृत गद्यानुवाद स. (सन्मति कुटीर चंदावाड़ी, बम्बई १९५६) १८१ एकीभावस्तोत्र (वादिराज्य)-चन्द्रकीर्ति टीका व परमानन्द शास्त्री कृत अनु. स. (वीरसेवा मं, सरसावा, १९४०) १८२ जिनचतुर्विशतिका (भूपाल) -आशाधर टीका, भूधरदास व धन्यकुमार कृत पद्यानु. व पं. पन्नालाल कृत गद्यानु. स. (सन्मति कुटीर, चंदा वाड़ी, बम्बई; १९५८) १८३ सरस्वती स्तोत्र (बप्पमट्टि) आगमो. स. बम्बई, १९२६, (चतुर्विशिका पृ. २६४) १८४ वीतराग स्तोत्र (हेमचन्द्र)-प्रभानंद और सोमोदय गणि, टीकाओं स. (दे. ला. बम्बई, १९११) १८५ यमकमय चतुर्विशति जिनस्तुति (जिनप्रम) - भीमसी माणक, बम्बई, प्रकरण रत्नाकर-४ १८६ जिनस्तोत्ररत्नकोश (मुनिसुन्दर) - यशो. बनारस १६०६ १८७ साधारण जिनस्तवन (कुमारपाल) - बम्बई, १६३६ (सोमतिलक) आगमो. बम्बई, १९२६ १८८ नेमिभक्तामर स्तोत्र (भावरत्न) आगमो. बम्बई, १९२६ १८६ सरस्वती भक्तामरस्तोत्र (धर्मसिंह) आगमो. बम्बई, १९२७ प्रथमानुयोग प्राकृत १६० पउमचरियं (विमलसूरि) -मूलमात्र याकोबी सम्बा. (जै. ध. प्र. स. भावनगर, १९१४) १६१ चउपन्नमहापुरिसचरिय(शीलाङ्क)-प्राकृत ग्रंथ परिषद्, वाराणसी, १९६१) १६२ पासनाहचरिय, (गुणचन्द्र) अहमदाबाद, १९४५, गुज. अनु. आत्मा. भावनगर, सं. २००५ १६३ सुपासनाहचरिय (लक्ष्मण गणि) -पं. हरगो. सेठ सम्पा. (जैन विविध साहित्य शास्त्रमाला बनारस, १९१६) ९४ महावीरचरिय (गुणचन्द्र) दे. ला. बम्बई, १९२६, गुज. अनु. आत्मा. सं. १६६४) १६५ महावीरचरित (नेमिचन्द्र-देवेन्द्रगणि) जैन आत्मा. भावनगर सं. १९७३ १६६ तरङ्गलोला -(नेमिविज्ञान ग्रं. सं. २०००) गुज. अनु. (पालीताना, सं. १९८६) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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