Book Title: Bharatiya Sanskruti me Jain Dharma ka Yogdan
Author(s): Hiralal Jain
Publisher: Madhyapradesh Shasan Sahitya Parishad Bhopal

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Page 493
________________ ४८० भारतीय संस्कृति में जैन धर्म का योगदान [विशाख वीरदेवगणि १४०, १७३ वीरधवल १७२, १७४, १८०, ३३५ वीरनन्दि ६७, १००, १०६, १६९ (मुनि) १०० वीरभद्र १३६ (आचार्य) ४३ वीर बल्लाल ४०,३३२ वीर वराह १६५, ३३२ वीरशैव ४१ वीर संघ ३२ वीर (सान्तर) ४१, ३२२ वीरसूरि १८० वीरसेन ३४, ७६, ६६, १६६, १९६ विशाख (मुनि) ३६ विशाखाचार्य २७, ५३, १७७ ।। विशाल (राजा) २३ विशालनेत्रा १५६ विशुद्धि २३५. विश्व झोपड़ी गुफा ३०६ विश्वतत्त्व प्रकाश १८८, विशेषक छेद्य कला २६१ विशेषणवती ८२, १४३ विशेषावश्यक भाष्य ८६ विषापहारव्रतोद्यापन १२६ . विषापहार स्तोत्र १२६ विष्णु २७, १५४ विष्णुवर्द्धन ४० विसम वृत्त १६२ विसगं भाव २६६ विसेस निसीह चूणि १३६ विस्तार टीका १८८ . . विहायोगति २३० वीचार २७३ वीतकलंक ११३ वीतराग २१९ वीतरागस्तोत्र १२७ वीतशोका २६५ वीथि २६५ वीथीपथ २९७ वीर १३६, १६६ वीरगणि १२४ वीरचन्द्र (मुनि) ३२, ८०, १०७ वीरचरित्र १५५ वीरसेनाचार्य ४१, ५६, ७४, ७५, ८२. ३०३, ३१० वीयंप्रवाद ६४ वीर्याचार १०६ वीर्यानुवाद ५१ वीर्यान्तराय २२८ वीसलदेव १७३ वीसवीसीओ (विशतिविशिका) १११ वृतक्रीडा २८४ वृत्ति (जैनेन्द्र) १८५ वृत्तिपरिसङख्यान २७१ वृत्तिविवरणपञ्जिका १८८ वृत्तिविवरण पञ्जिका-दुर्गपद प्रबोध १८८ वृत्तिसूत्र ८२ वृषभाचार्य ६६ वष्णिदशा ६७. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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