Book Title: Bharatiya Sanskruti me Jain Dharma ka Yogdan
Author(s): Hiralal Jain
Publisher: Madhyapradesh Shasan Sahitya Parishad Bhopal

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Page 448
________________ कल्प ] कदलीगृह २६३ कनकनन्दिदेव ४१ कनकपुर १५६. कनकप्रभ १६० कनकमाला १३६ कनकामर ( मुनि) १६१, ३१२ कनिंघम ३१०, ३२६ कनिष्क ३४, ३०४ कन्नड ४ कन्याकुमारी ३२१ कपाटरूप २७७ कपिलवस्तु ३०० कपिशीर्षक २८८ कपोतपालियां ३२४ कपोतेश्वर मन्दिर ३१८ कमठ ३१५ कमल १३६ कमलसेन १४५ कम्मन छपरा २३ करकण्ड १६२, ३१२ करकण्डचरिउ १६१, ३१२ करण २२६ करण चौपार ३०७ करणानुयोग ७४, ६३, २६२ करुणावचायुध १८० कर्ण नरेन्द्र १६१ कर्णपूर २८८ कर्णाभरण २८६ कर्नाटक ३, १७६ कर्नाटक- कवि-चरित १८६ Jain Education International शब्द सूची कर्म २२४ कर्मकाण्ड ७५, ७६ कर्म प्रकृति ७४, ८१, २२५ कर्मप्रवाद ५१, ७७, ८० कर्मबन्ध २५, २३८ कर्मबन्ध ६, १०, ६५ कर्मयोग ११८ कर्मविपाक ८१ कर्म सिद्धान्त २३८ कर्मस्तव ८०, ८१ कर्मस्थिति २२५ कर्मारग्राम २३ कर्माश्रयकला २६१ कर्मास्त्रव २५ कर्मेन्द्रियाँ २२४ कर्मोपाधिनिरपेक्ष २५१ कर्मोपाधिसापेक्ष २५१ कलचुरि १६१ कलचुरि नरेश ४३ कला का ध्येय २८२ कला के भेद-प्रभेद २८४ कलात्मक अतिशयोक्ति २८३ कलियुग १२ कलिंग ३३ कलिंग जिन ३०७ कलिंग राज १४८ कलिंगसम्राट ३०७ कल्कि ६७ कल्कि चतुर्मुख १२६ कल्प ७२, ६४ For Private & Personal Use Only ४३५ www.jainelibrary.org

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