Book Title: Bharatiya Sanskruti me Jain Dharma ka Yogdan
Author(s): Hiralal Jain
Publisher: Madhyapradesh Shasan Sahitya Parishad Bhopal
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जैन मूर्तिकला
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सम्पन्न कुटुम्ब में ये प्रतिमायें कुलदेवता के रूप में प्रतिष्ठित की जाती थीं। अच्युता या अच्छप्ता देवी की मूर्ति
अच्युता देवी की एक मूर्ति बदनावर (मालवा) से प्राप्त हुई है । देवी घोड़े पर आरूढ़ है । उसके चार हाथ हैं। दोनों दाहिने हाथ टूट गये हैं। ऊपर के बांये हाथ में एक ढाल दिखाई देती है, और नीचे का हाथ घोड़े की रास सम्हाले हुए है । दाहिना पैर रकाब में है और बायां उस पैर की जंघा पर रखा हुआ है । इस प्रकार मूर्ति का मुख सामने व घोड़े का उसकी बायीं ओर है । देवी के गले और कानों में अलंकार है । मूर्ति के ऊपर मंडप का आकार है, जिस पर तीन जिन-प्रतिमाएं बनी हैं। चारों कोनों पर छोटी-छोटी जैन प्राकृतियां हैं । यह पाषाण-खन्ड ३ फुट ६ इंच ऊँचा है। इस पर एक लेख भी है, जिसके अनुसार अच्युता देवी की प्रतिमा को सम्बत् १२२६ (ई० ११७२) में कुछ कुटुम्बों के व्यक्तियों ने वर्तमानपुर में शान्तिनाथ चैत्यालय में प्रस्थापित की थी । इस लेख पर से सिद्ध है कि आधुनिक बदनावर प्राचीन वर्द्धमानपुर का अपभ्रंश रूप है। मैं अपने एक लेख में बतला चुका हूँ तथा ऊपर मंदिरों के सम्बन्ध में भी उल्लेख किया जा चुका है, कि सम्भवतः यही वह वर्द्धमानपुर का शान्तिनाथ मन्दिर है जहां शक सं० ७०५ (ई० ७८३) में आचार्य जिनसेन ने हरिवंश-पुराण की रचना पूर्ण की थी।
नंगमेष (नेमेश) की मूर्ति
मथुरा के कंकाली टीले से प्राप्त भग्नावशेषों में एक तोरण-खंड पर नेमेश देव की प्रतिमा बनी है और उसके नीचे भगव नेमेसो ऐसा लिखा है । इस नेमेश देव की मथुरा-संग्रहालय में अनेक मूर्तियां हैं । कुषाण कालीन एक मूर्ति (ई० १) एक फुट साढ़े तीन इंच ऊँची है । मुखाकृति बकरे के सदृश है व बाएं हाथ से दो शिशुओं को धारण किये हैं, जो उसकी जंघा पर लटक रहे हैं। उसके कंधों पर भी सम्भवतः बालक रहे हैं, जो खंडित हो गये है, केवल उनके पैर लटक रहे हैं । एक अन्य छोटी सी मूर्ति (नं० ६०६) साढ़े चार इंच की है, जिसमें कधों पर बालक बैठे हुए दिखाई देते हैं । यह भी कुषाण कालीन है । तीसरी मूर्ति साढ़े आठ इंच ऊंची है और उसमें दोनों कंधों पर एक-एक बालक बैठा हुआ है । दाहिना हाथ अभय मुद्रा में है, और बांए में मोहरों की थैली जैसी कोई वस्तु है । कधों पर बालक बैठाए हुए नेगमेश की
और दो मूर्तियां (नं० ११५१, २४८२) हैं। एक मूर्ति का केवल सिर मात्र सुरक्षित है (नं० १००१)। एक अन्य मूर्ति (नं० २५४७)एक फुट पांच इंच ऊंची है,
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