Book Title: Bharatiya Sanskruti me Jain Dharma ka Yogdan
Author(s): Hiralal Jain
Publisher: Madhyapradesh Shasan Sahitya Parishad Bhopal

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Page 422
________________ जैन साहित्य-ग्रंथ सूची . १३२ प्रवचन सारोद्धार (नेमिचन्द्र)-सिद्धसेन टीका स. (ही. हं. जामनगर, १९१४, दे. ला. ग्र. बम्बई, १९२२) १३३ द्वादशकुलक (जिनवल्लम) -जिनपाल टीका स. (जिनदत्त सूरि प्रा. पु. बम्बई, १९३४) १३४ प्रशमरति (उमास्वाति) सटीक (जैन ध. प्र. स. भावनगर, सं. १९६६) सटीक हिन्दी अनु. स. (रा. जै. शा. बम्बई, १९५०) १३५ चारित्रसार (चामुण्डाराय) - (मा. दि. जै. ग्रं. बम्बई, नि. सं. २४४३) १३६ आचारसार (वीरनन्दि) - (मा. दि. जै. ग्रं., बम्बई स. १९७४) १३७ सिन्दूरप्रकर (सोमप्रभ या सोमदेव) -हर्षकीर्ति टीका स. (अहमदाबाद, १६२४) १३८ श्रावक प्रज्ञप्ति (हरिभद्र) -सटीक गुज. अनु. स. (जैन ज्ञान प्रसारक मण्डल, बम्बई, १९०५) १३६ पञ्चाशक सूत्र (हरिभद्र) -अभयदेव टीका स. (जै. ध. प्र. स. भाव नगर १६१२) १४० धर्मरत्न (शान्तिसरि) स्त्रोपज्ञ टीका स. (जै. आ. स. भावनगर सं. . १९७०) देवेन्द्र टीका स. (ज.ध. प्रसारक, पालीताना, १६०५-६) १४१ वसुनन्दि श्रावकाचार -प्रस्तावना व हिन्दी अनु. स. (भारतीय ज्ञानपीठ . काशी , १६५२) १४२ सावयधम्मदोहा - डॉ. हो. ला. जैन कृत प्रस्तावना हिंदी अनु. आदि स. (कारंजा जैन ग्रं. १९३२) १४३ रत्नकरण्डश्रावकाचार (समन्तभद्र)-प्रभाचन्द्र टीका व जु. मुख्तार कृत प्रस्तावना स. (मा. दि. जे. ग्रं., बम्बई, वि. १९८२) समीचीन धर्मशास्त्र नाम से हिन्दी व्याख्या स. (वीर सेवा मं. दिल्ली, १६५५) चम्पतराय कृत अं. अनु. स. (बिजनौर, १६३१) .१४४ यशस्तिलकम् (सोमदेव) भा. १-२ पंचम आश्वास के मध्य तक श्रुत सागर टीका स. (निर्णय सागर प्रेस, बम्बई, १६१६) १४५ श्रावकाचार (आमितगति) - भागचन्द्र कृत वचनिका स. अनन्तकीर्ति ग्रं. बम्बई, वि. १९७६) १४६ सागारधर्मामृत (प्राशाधर) -स्वोपज्ञ टीका स. (मा. ग्रं. बम्बई वि. १९७२) १४७ श्रावकाचार (गुणभूषण) भा. १-२ हिन्दी अनु. स.(दि, जै. पु. सूरत, १६२५) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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