Book Title: Bharatiya Sanskruti me Jain Dharma ka Yogdan
Author(s): Hiralal Jain
Publisher: Madhyapradesh Shasan Sahitya Parishad Bhopal
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जैन गुफाएं
३१७ होता हैं । शेष गुफाएं ध्वस्त अवस्था में है।
यद्यपि गुफा-निर्माण कला का युग बहुत पूर्व समाप्त हो चुका था; तथापि जैनी १५ वीं शती तक भी गुफाओं का निर्माण कराते रहे । इसके उदाहरण हैं तोमर राजवंश कालीन ग्वालियर की जन गुफाएं । जिस पहाड़ी पर ग्वालियर का किला बना हुआ है, वह कोई दो मील लम्बी, आधा मील चौड़ी, तथा ३०० फुट ऊंची है । किले के भीतर स्थित सास-बहू का मंदिर सन् १०६३ का बना हुआ है, और आदितः जैन मन्दिर रहा है। किन्तु इस पहाड़ी में जन गुफामों का निर्माण १५ वीं शती में हुआ पाया जाता है । सम्भवतः यहाँ गुफा निर्माण की प्राचीन परम्परा भी रही होगी, और वर्तमान में पाई जाने वाली कछ गफाएं १५ वीं शती से पूर्व की हों तो आश्चर्य नहीं । किन्तु १५ वीं शती में तो जैनियों ने समस्त पहाड़ी को ही गुफामय कर दिया है। पहाड़ी के ऊपर, नीचे व चारों ओर जैन गुफाएं विद्यमान हैं। इन गुफाओं में वह योजना-चातुर्य व शिल्प-सौष्ठव नहीं है जो हम पूर्वकालीन गुफाओं में देख चुके हैं । परन्तु इन गुफानी की विशेषता है उनकी संख्या, विस्तार व मूर्तियों की विशालता । गुफाएं बहुत बड़ी-बड़ी हैं, व उनमें तीर्थंकरों की लगभग ६० फुट तक ऊंची प्रतिमाएं देखने को मिलती हैं। उर्वाही द्वार पर के प्रथम गुफा-समूह में लगभग २५ विशाल तीर्थकर मूर्तियां हैं, जिनमें से एक ५७ फुट ऊंची है। आदिनाथ व नेमिनाथ की ३० फुट ऊंची मूर्तियां हैं। अन्य छोटी-बड़ी प्रतिमाएं भी हैं, किन्तु उनकी रचना व अलंकरण आदि में कोई सौन्दर्य व लालित्य नहीं दिखाई देता । यहां से आधा मील ऊपर की ओर दूसरा गुफा-समूह है, जहां २० से ३० फुट तक की अनेक मूर्तियाँ उत्कीर्ण हैं। बावड़ी के समीप के एक गुफाण्जु में पाश्वनाथ की २० फुट ऊंची पद्मासन मूर्ति, तथा अन्य तीर्थकरों की कायोत्सर्ग मुद्रायुक्त अनेक विशाल मूर्तियां हैं। इसी के समीप यहां की सबसे विशाल गुफा है, जो यथार्थतः मंदिर ही कही जा सकती है। यहाँ की प्रधान मूर्ति लगभग ६० फुट ऊँची है। इन गुफा-मंदिरों में अनेक शिलालेख भी मिले हैं, जिनसे ज्ञात होता है कि इन गुफाओं की खुदाई सन् १४४१ से लेकर १४७४ तक ३३ वर्षों में पूर्ण हुई । यद्यपि कला की दृष्टि से ये गुफाएं अवनति की सूचक हैं , तथापि इतिहास की दृष्टि से उनका महत्व है। इनके अतिरिक्त अन्य भी सैकड़ों जैन गुफाएं देश भर के भिन्न-भिन्न भागों की पहाड़ियों में यत्र-तत्र बिखरी हुई पाई जाती हैं। इनमें से अनेक का ऐतिहासिक व कला की दृष्टि से महत्व भी है। किन्तु उनका इन दृष्टियों से पूर्ण अध्ययन किया जाना शेष है । स्टैला कैमरिश के मतानुसार, देश में १२०० पाषाणोत्कीर्ण मंदिर पाये जाते हैं, जिनमें से ९०० बौद्ध, १.० हिन्दू और २०. जैन गुफा मंदिर हैं। (हिन्दू टेम्पिल्स, पृ० १६८) ।
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