Book Title: Bharatiya Sanskruti me Jain Dharma ka Yogdan
Author(s): Hiralal Jain
Publisher: Madhyapradesh Shasan Sahitya Parishad Bhopal
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जैन मन्दिर
वशपुराण में उल्लिखित वर्षमानपुर मध्यप्रदेश के धार जिले में स्थित वर्तमान बदनावर है, जिससे १० मील दूरी पर स्थित वर्तमान दुतरिया नामक गांव प्राचीन दोस्तरिका होना चाहिये, जहां कि प्रजा ने, जिनसेन के उल्लेखानुसार उस शान्तिनाथ मंदिर में विशेष पूजा अर्चा का उत्सव किया था। इस प्रकार वर्धमानपुर में आठवीं शती में पार्श्वनाथ और शान्तिनाथ के दो जैन मंदिरों का होना सिद्ध होता है । शान्तिनाथ मन्दिर ४०० वर्ष तक विद्यमान रहा। इसका प्रमाण हमें बदनावर से प्राप्त अच्छुप्तादेवी की मूर्ति पर के लेख में पाया जाता है, क्योंकि उसमें कहा गया है कि सम्वत् १२२६ (ई० ११७२) की वैशाख कृष्ण सप्तमी को वह मूर्ति वर्धमानपुर के शान्तिनाथ चैत्यालय में स्थापित की गई (जैन सि० भा० १२, २, पृ० ६ आदि, तथा जैन एन्टीक्वेरी १७, २, पृ० ५९) इसके पश्चात् वहां के उक्त मन्दिर कब ध्वस्त हुए, कहा नहीं जा सकता।
__ जोधपुर से पश्चिमोत्तर दिशा में ३२ मील पर प्रोसिया रेल्वे स्टेशन के समीप ही ओसिया नामक ग्राम के बाह्य भाग में अनेक प्राचीन हिन्दू और जैन मंदिर हैं, जिनमें महावीर मंदिर अब भी एक तीर्थ क्षेत्र माना जाता है । यह मन्दिर एक घेरे के बीच में स्थित है। धेरे से सटे हुए अनेक कोष्ठ बने हैं । मन्दिर बहुत सुन्दराकृति है । विशेषतः उसमें मंडप के स्तम्भों की कारीगरी दर्शनीय है । इसकी शिखरादि-रचना नागर शैली की है। यहाँ एक शिलालेख भी है, जिसमें उल्लेख है कि प्रोसिया का महावीर मंदिर गुर्जर-प्रतिहार नरेश वत्सराज (नागभट द्वितीय के पिता ७७०-८०० ई०) के समय में विद्यमान था, तथा उसका महामंडप ई० सन् ६२६ में निर्माण कराया गया था। मंदिर में पीछे भी निर्माण कार्य होता रहा है, किन्तु उसका मौलिक रूप नष्ट नहीं होने पाया। उसका कलात्मक संतुलन बना हुआ है, और ऐतिहासिक महत्व रखता
मारवाड़ में ही दो और स्थानों के जैन मंदिर उल्लेखनीय हैं । फालना रेलवे स्टेशन के समीप सादडी नामक ग्राम में ११ वीं शती से १६ वीं शती तक के अनेक हिन्दू व जैन मंदिर है। विशेष महत्वपूर्ण जैन मंदिर वर्तमान जैन धर्मशाला के घेरे में स्थित है। शैली में ये मंदिर पूर्वोक्त प्रकार के ही हैं, और शिखर नागर शैली के ही बने हुए हैं । मारवाड़-जोधपुर रेलवे लाईन पर मारवाड़-पल्ली स्टेशन के समीप नौलखा नामक वह जैन मंदिर है जिसे अल्हणदेव सम्वत् १२१८ (ई० सन् ११६१) में बनवाया था । किन्तु इसमें जो तीर्थकरों की मूर्तियां हैं उनमें वि० सं० ११४४ से १२०१ तक के लेख पाये
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