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भगवान पार्श्वनाथ |
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नागकुमारका नागवंशी होना प्रकट है । हिन्दुओ के विष्णुपुराण में नौ नागराजाओ में भी एकका नाम नागकुमार है ( I HQ II. 189 ) 'द्वादशीव्रत कथा' से भी यही बात प्रमाणित है। वहां कहा गया है कि मालवा देशके पद्मावतीनगरका राजा नरब्रह्मा था, जिसकी विजयावती रानीसे शीलावती नामक कुबडी कन्या थी । श्रमणोत मुनिराज से पूर्वभव सुनकर उसने द्वादशीव्रत किया था । उसके ढो पुत्र अर्ककेतु और चन्द्रकेतु थे । अर्ककेतु प्रख्यात् राजा बतलाया गया है, अन्तमें इन सबके दीक्षा लेनेका जिकर है ।" इस कथा के व्यक्ति नागलोग ही मालूम होते है, क्योकि पद्मावतीनगर नागराजाओंकी राजधानी था । यहां गणपतिनागके सिंक मिले है । साथ ही कतिपय 'वर्मातनामवाले' राजाओके तीन शिलालेख ग्वालियर रियासत से मिले है । इन राजाओमे एक राजा नरवर्मा नामक भी है, यह सिह वर्माका पुत्र है, परन्तु अभीतक इनके वशादिके विषयमें कुछ पता नहीं चला है । उपरोक्त कथाके राजा नरब्रह्मा और इन नरवर्मा के नाममे बिल्कुल सादृश्यता है तथापि इनकी राजधानी जो पद्मावती बताई है, वह भी ग्वालियर रियामतमें है | इसलिये इनका एक व्यक्ति होना बहुतकरके ठीक है । किन्तु इनके नागवशी होनेके लिए सिवाय इसके और प्रमाण नही है कि इनकी राज्यधानी पद्मावती में उस समय नागराजाओका ही राज्य था और इतिहाससे इनके वंशादिका पता चलता नहीं, इस
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१ - जैनत्रतकथासग्रह पृष्ठ १०८ - १२१ । प्रथम भाग फुटनोट पृष्ठ ११७ और पृ० प्रातके प्राचीन जैन स्मारक पृ०
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१२५-१२६ ।
२- राजपुतानेका इतिहास १३० १ ३- नयभारत, मध्य४- राजपूतानेका निहास पृ०