________________
भगवान पार्श्वनाथ । । कलिगसे इन लोगोंको ईसवी पूर्व ४ थी या तीसरी शता" बाहर चला जाना पड़ा था और तब यह लम्बकाञ्चन देशमें नारहे थे । यह देश कलिंगके निकट कहीं दक्षिण भारतमें होना उचित है। श्री समन्तभद्राचार्यके भ्रमण वृत्तान्तमें दक्षिणस्थ नग
के साथ एक 'लाम्बुश' नामक नगरका उल्लेख हुआ है । औरइक्षिणमें काचीपुर जैनोंका प्राचीन केन्द्रस्थान है । अतएव 'लाम्बुश और कांचीपुरके मध्यवर्ती देशका उल्लेख लम्यकाञ्चन नागसे होना संभव हो सक्ता है । इस दशामें यहाके निवासी राजभ्रष्ट यदुवंशिपोंकी सतान लम्बकंचुक जाति कही नासक्ती है । इसी जातिका अपररूप बुढेलवाल है । उक्त कुटुम्ब इसी बुढेलवाल वगोद्भव है। उक्त श्री ला० फूलचन्दजी व्यापार निमित्त मेरठ पहुचे। वहां एक फौनी अफपरसे उनकी भेंट हो गई। वे परस्पर उपकृत होगये । फूलचन्दनी फौनी कमसरियटमें काम करने लगे । धीरे२ फौजी खनाची होगये, उनका फर्म दूर२तक प्रसिद्ध होगया । श्री फूलचन्दनीके चार पुत्र थे-(१) ला० परमसुखनी, (२) ला० कुन्दनलालनी, (३) ला० झम्मनलालनी, (४) ला• गिरधारीलालनी। उनके उपरान्त यह चार भाई फर्मके कार्यको समुचित रीतिसे न चला सके और वह पर्म फेल होगया । ला• कुन्दनलालनीके तीन पुत्र हुये-(१) श्री प० तेजरायनी, (२) ला० धन्नामलनी, (३) व ला० गोविन्दप्रसादजी । ये तीनों भाई गानविद्या विशारद हैं; यद्यपि सर्वलघु इस समय उनके बीचमे नहीं है । प० तेजरायनी संस्कृतज्ञ और धर्मज्ञ वयप्राप्त विद्वान है। आपके सुपुत्र बाबू अंबाप्रसादजी 'मिलिद्री अकाउन्ट डिपार्टमेन्ट में एकाउन्टेन्ट थे। दुर्भा