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नागवंशजोंका परिचय। [१८३ हूण लोग होसक्ते हैं; और जैन पद्मपुराणमें रावणके पक्षमें नागोंका होना स्वीकार किया गया है जो गरुडवाहनके आनेसे भाग गये लिखे हैं । खरदूषणके साथ त्रिपुर, मलय, हेमपाल, कोल आदि राजा थे और यह भी रावणके साथ दिग्विजयको गये थे। रावण पाताललंका होता हुआ इन राजाओको साथ लेकर नर्मदा तटपर पहुंचा था । यह राना मलयद्वीप (Maldiva) जो पहले बहुत विस्तत था और भारतसे लगा हआ था,' वहीके विविध देशोंके राजा मालूम देते हैं । वहांके त्रिकूट पर्वतके निकटवाले देशके राजा त्रिपुर, सोनेकी कानोंवाले देशके अधिपनि हेमपाल और मलयदेशके सना मलय एव कोल जातिके नृप कोल कहे जासक्ते हैं । नर्मदाके तटपर माहिष्मती नगरीके राजा सहस्ररश्मिसे जो वहांपर युद्ध हुआ था, यह आज भी मध्यप्रांतमें जनश्रुतिरूपसे प्रचलित है। इसतरह इस विवरणसे भी रावणका निवासस्थान राक्षसद्वीप और लंका मिश्रमे प्रमाणित होते है। यह पृथ्वीरेखा (Equator), के निकट भी थे, जैसा कि अन्य शास्त्रोंमें कहा गया है।
किन्हीं विद्वानोंका अनुमान है कि मध्य भारतमें अमरकण्टकपहाड़की एक चोटीपर ही रावणकी लंका थी, अन्योका कहना है कि आजकलकी लंका ही लंका है और डा० जैकोबी उसे आसाममे ख्याल करते हैं। हालमें एक अन्य विद्वानने लकाको मलयद्वीप (Maldiva Islunds) में बताया है। उपरोक्त
१-दी० इन्डि. हिस्टॉ० क्वार्टली भाग २ पृ० ३४८. २-मध्यप्रातके प्राचीन जैन स्मार्क, भूमिका पृ० ६. ३-भुवनकोष १७. ४-५-इन्डि०. हिस्टॉ० क्वार० भाग २ पृ० ३४५