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भगवानके प्रमुख शिष्य। [३०५ उपदेशका महत्व और प्रभाव सुगमतः हृदयंगम कर लेते हैं। सचमुच भगवान्के धर्मोपदेशका प्रभाव देखकर कविका निम्न पद्य सोलही आने चरितार्थ होजाता है"आतम रसीको है सुधारसको कुण्ड 'बन्द',
सम्यक् महीरुहको मूल छहरात है। सकल समाज शिवराजको अजज जामें, ऐसो जैन बैनको पताका फहरात है ॥"
(१७) भगवान के भ्रमुख शिष्ला 'गणीशा दश तस्यासन् विधायादि स्वयंभुवं । सार्दानि त्रिशतान्युक्ता मुनीन्द्राः पूर्वधारिणः ॥ यतयो युतपूर्वाणि शतानि नव शिक्षकाः। चतुः शतोत्तरं मोक्ताः सहस्रमवधित्विषः ॥ सहस्रमंतिमज्ञानास्तांबनो विक्रियद्धिकाः। शतानि सप्त पंचाशचतुर्थावगमाः स्मृताः॥ वादिनः षट्शतान्येव ते सर्वेपि समुचिताः। अभ्यर्णीकृतनिर्वाणाः स्युः सहस्राणि षोडश ॥
--उत्तरपुराण । भगवान पार्श्वनाथनीका तीर्थ सर्वमान्य होगया ! ग्राम २ और नगर पत्तनोमें उन भगवानका अहिंसामई और अव्याबाध सुखका संदेश व्याप्त होगया! हर दशा और हर परिस्थितिके लोगोंको अपने २ मन्तव्योंका प्रगट बोध होगया ! कोई स्थान और कोई