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भगवान पार्श्व व महावीरजी ! [३९१ तब फिर भला यह कसे सभव है कि मक्खलिगोशालने अंतिम जैन तीर्थंकरको प्रभावित किया हो ? महावीरजीपर गोशालका सबसे बड़ा पड़ा हुआ प्रभाव 'नग्नदशा' का बतलाया जाता है।' कहा जाता है कि नग्न वेष उनने गोशालसे लिया था। किन्तु यह कथन स्वयं 'भगवतीसूत्र' से बाधित है, जिसके आधारपर ही यह मत स्थापित किया गया माना जाता है। उसमें स्पष्ट कहा है कि जिस समय गोशाल महावीरजीके पास दीक्षा याचनाके लिये आया था, उस समय वह बस्त्र पहिने हुये था। साथ ही बौद्ध ग्रन्थोंसे प्रकट है कि वह पहले वस्त्रधारी था किन्तु उपरात अपने मालिकके पाससे नग्न वेषमें ही भाग जानेसे वह नग्न होगया था। इससे भी प्रगट है कि वह पहले नग्न नहीं था, परन्तु वौद्धोंकी यह कथा विश्वासके योग्य स्वीकार नहीं की गई है । इसलिये इसका कुछ भी महत्व नहीं है । 'भगवती सूत्र' की कथा और यह कथा दोनो एक ही कोटिमें रखने योग्य है। किन्तु इसके विपरीत दिगम्बर जैन शास्त्र 'दर्शन सार' की साक्षी विशेष प्रामाणिक है। वेशक यह ग्रन्थ नवी शताब्दिका है, परन्तु इसका आधार एक प्राचीन ग्रन्थ है । " एक तरहसे यह प्राचीन मतोंका संग्रह ग्रन्थ है और इसतरह विश्वासके योग्य है तिसपर उसमें जो बातें म० बुद्धके बारेमें कही गई हैं, वह प्रायः बिलकुल सत्य ही प्रमाणित हुई हैं। इस कारण हम इस दिगंबर
१-जनमत्र (S. B. E. ) भूमिका और आजीविक भाग १ । २-उपासगदमामो (Biblo. Ind.) परिशिष्ट पृ० ११० । ३-आजी. विस्म भाग १० ११।४-जनहितैषी वर्ष १३ अ ६-७ पृ. २६२॥ ५-भगवान् महावीर और म० बुद्र . ४९-५० ॥