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नागवशंजोंक परिचय। [१४५ हैं। यह प्रदेश हिन्दू शास्त्रोंका सु-तल होसक्ता है, यह सु जातियों (Kidarites or Sutribes) का निवासस्थान होनेके रूपमें इसस नामसे विख्यात था। इसमें आजकलका बलख भी था। यहां सुवेल विद्याधरको जीतनेका उल्लेख पद्मपुराण करता ही है । अतएव सुवेलका सु-तल होना ही ठीक जंचता है। उपरात रामचन्द्रनीने अक्षयवनमें डेरा डाले थे और वहां रात पूरी करके हसद्वीपमें हंसपुरके राजा हंसरथको जीता था। यहीं अगाडी रणक्षेत्र मादकर वह डट गये थे। अक्षयवन संभवतः जक्षत्रस (Jaratres) नदीके आसपासका वन हो और इसके पास ही सुपर्ण आदि पक्षियोका निवास स्थान था', यह विदित ही हैयद्यपि पक्षीका भाव यहां जातियोंसे ही है । अस्तु, हंस भी एक पक्षीका नाम है, इसलिये हंसद्वीप और हंसरथसे भाव पक्षियोकी जातिसे होसक्ता है । इसके भगाड़ी जो लंकाकी सीमा आगई ख्याल की गई है वह भी ठीक है, क्योंकि राक्षसवंशजोंका एक देश हरि भी जैन पद्मपुराणमें बताया गया है। आर्यबीज अथवा आर्यना (Aeriana) प्रदेश बाइबिलमें - 'हर' नामसे परिचित हुआ है। तथापि यहांपर हूण अथवा तातार जातिया भी रहती थीं, जिनमें ही राक्षसवंशी भी आजकल माने गये हैं। इस हालतमें हंसडीपके अगाड़ी राक्षसोंका हर प्रदेश आजाता था। इसलिये रामचन्द्रजीका विरोध वहींसे होने लगा होगा, जिसके कारण वह वहींपर रणक्षेत्र रचकर डट गये थे । अतएव इस तरह भी लंकाका मिश्रमें होना ही ठीक जंचता है।
१ पूर्व० भाग १ पृ. ८५६. २ पूर्व० भाग २ पृ. ४३. ३ पद्मपुराण पृ० ६८ और ७७ ४ दी इडि. हिस्टा• क्वारटनी भाग १ पृ० १३१ ५ पूर्व० भाग १ पृ. ४६२. .