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१८२] भगवान पार्श्वनाथ ।
जैन पद्मपुराणमे कैलाश और वैताव्य पर्वतमें स्थित अर्धवरबरदेशके म्लेच्छोंका भारतपर आक्रमण करना लिखा है तथापि श्याममुख, कदम, ताम्र आदि वर्णके लोगोंको कालिन्द्रीनामा नदीके किनारे वाला बतलाया है । यह अर्धबरबर प्रदेश ऐशियाटिक रसियाका बीचका भाग होसक्ता है। इसके राजाकी अध्यक्षतामें श्याममुख आदि यहां आए थे। यह ज्ञात है कि ज्याममुखोंका एक अलग प्रदेश काली अर्थात् नील (Nile) नदीके किनारेपर ही था'। इसी तरह कर्दमवर्णके लोगोका कर्दमस्थान' और ताम्रवर्णके लोगोंका तमस-स्थान भी वहीं बतलाये गये है, तथापि रावणने जो अपने आसपासके राजाओंके साथ दिग्विजयके लिये पयान किया था तो उस समय उसके साथ हिडम्ब, है हिडिम्ब, विकट, त्रिजट, हयमाकोट, सुनट, टंक आदि लोग थे । इनमेंके हिडम्ब और हैहिडिम्ब संभवत. हैहय ( Haihayas) होंगे, जिन्होने उत्तर कुशद्वीपके राजाओं के साथ गौतमऋषिकी सहायता करके जमदग्निको मारा था। यह हैहय ईरानी (Persian) अनुमान किये गये है। त्रिनट सुनट और विकट शंखद्वीप (मिश्र) के जटापर्ट और कुटितकेग नामक जातियोंके राजा होसक्ते है । इयमाकोट हेमकूट पर्वत जो शंखद्वीपमें था उसके निकटवासी मनुष्योंकि राजा प्रतीत होते हैं और टंक टक्कका अपभ्रश मालम होता है जो तक्षकनागके वंशज थे। इसलिए टंक नाग जातिके
शियाटिक रिसर्चेज भाग ३ १० : २ पूर्व. पु. ९६ । पूवं• १० : -५ .ऐशियाटिक ग्मिन भाग : १० ११६. ६- १० ११५. ७-पूर्व पृ. ५. ८-पूर्व० पृ. ५६. राजपूता. ने इनिदाग प्रथम भाग पृ. २३.
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