Book Title: Bansidhar Pandita Abhinandan Granth
Author(s): Pannalal Jain
Publisher: Bansidhar Pandit Abhinandan Granth Prakashan Samiti
View full book text
________________
१/ आशीर्वचन, संस्मरण, शुभकामनाएँ:११
सादा जीवन उच्च विचार । •स० सिं० सुमेरचन्द्र जैन, जबलपुर
पण्डित बंशीधरजी व्याकरणाचार्य बीना (सागर) बुंदेलखण्डके महान् जैन विद्वान हैं। सन १९५० में पण्डितजी का पहला परिचय खुरई में महावीर जयंतीके शुभअवसरपर हआ था। उस समय रात्रिको आपके भाषणको सुननेका लाभ मिला था। पण्डितजीका जीवन बहुत ही सादगी पूर्ण है । घरपर या दुकानपर हमने हमेशा ही चिन्तन-मनन करते हुए देखा । ता० ११-५-८९ को हम बीनामें पंचकल्याण गजरथके शुभ अवसरपर मिले थे । तब हमने आपसे दिगम्बर जैन समाज बीनाके संघटन बाबत चर्चा की थी। अच्छा यह हुआ कि इस कार्यमें सफलता मिली। पण्डितजीने अपने जीवनमें अनेक महत्त्वपूर्ण जैन ग्रन्थोंको लिखा है, जिनमें आपने अनेक जैन विषयोंपर अच्छा प्रकाश डाला है। हम आपका हार्दिक अभिनन्दन करते तथा शुभकामना करते हैं कि आप शतायुः हों। समाजके वरिष्ठ विद्वान .श्री बालचन्द्र चौधरी, चौधरी सदन, सतना
राष्ट्र व समाज के वरिष्ठ विद्वान् महामनीषी पं० बंशीधर व्याकरणाचार्यको उनकी राष्ट्रीय, सामाजिक साहित्यिक और धार्मिक सेवाओंके उपलक्ष्यमें समाज अभिनन्दन-ग्रन्थ भेंटकर अभिनन्दित एवं सम्मानित कर रहा है, यह उचित एवं स्तुत्य निर्णय है। मैं उन्हें हार्दिक शुभकामनाएँ भेज रहा हूँ। वे दीर्घजीवी होकर समाज और साहित्यकी सतत सेवा करते रहें। तीर्थ-भक्त पण्डितजी •सेठ शिखरचन्द्र जैन मंत्री, श्री सिद्धक्षेत्र रेशिंदीगिर
अति प्रसन्नता हुई, जब हमें ज्ञात हुआ कि समाज द्वारा पण्डितजीको अभिनन्दन ग्रन्थ समर्पित किया जा रहा है। पण्डितजीका इस क्षेत्रसे पूर्वका नाता व लगाव है। उनके ही भतीजे पं० डॉ० दरबारीलालजी कोठियाकी जन्मस्थली यह पावन तीर्थ भमि पण्डितजीके अभिनन्दनके शुभावसरपर उनके दीर्घजीवनकी कामना करती है। पण्डितजीका तीर्थों के प्रति लगाव व भक्ति उनकी प्रतिभासे स्वयमेव झलकती है यही कारण है कि उनने संस्थाओं व तीर्थोकी अनवरत सेवा की है। उनका ध्यान तीर्थोके संरक्षण व सम्वर्धन हेतु बना रहे इसी कामनाके साथ । प्रतिभाशाली विद्वान • डॉ० कपूरचन्द्रजी जैन, महामंत्री, दि० जैन सिद्धक्षेत्र अहारजी
. आदरणीय पं० भी समाजके प्रतिभाशाली विद्वान मुर्धन्य लेखक एवं ओजस्वी वक्ता हैं। उनके द्वारा ग्रन्थ लेखन एवं विद्वत्तापूर्ण भाषणों द्वारा किया गया धर्मका प्रचार तथा सामाजिक सेवायें इतनी अधिक हैं जो भुलाई नहीं जा सकती। मैं उनके स्वास्थ्य एवं दीर्घायुकी कामना करता हूँ। वे स्वस्थ और दीर्घजीवी हों .श्री अक्षयकुमार जैन, पूर्व सम्पादक, नवभारत टाइम्स, दिल्ली
श्रद्धेय पं० बंशीधरजी व्याकरणाचार्यने समाज, साहित्य और दर्शनको जो दिया है उसके लिए हम सब सदा ऋणी रहेंगे । उनके अभिनंदनके अवसरपर मैं अपनी विनयांजली प्रस्तुत करता हूँ। प्रभु पण्डितजीको स्वस्थ और दीर्घजीवी करें, यही कामना है।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org