Book Title: Agam 30 Mool 03 Uttaradhyayana Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Atmagyan Pith

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Page 298
________________ अष्टादश अध्ययन [२१४ din सचित्र उत्तराध्ययन सूत्र एगच्छत्तं पसाहित्ता, महिं माणनिसूरणो । हरिसेणो मणुस्सिन्दो, पत्तो गइमणुत्तरं ॥४२॥ शत्रु राजाओं का मान मर्दन करने वाले हरिषेण चक्रवर्ती ने पृथ्वी का एकच्छत्र शासन किया और फिर सर्वस्व त्यागकर संयम ग्रहण किया तथा मुक्ति प्राप्त की ॥४२॥ Humbler of all hostile kings, monarch Harişeņa brought the whole earth under his sceptre and then renouncing all, accepted restrain and obtained salvation. (42) अन्निओ रायसहस्सेहि, सुपरिच्चाई दमं चरे । जयनामो जिणक्खायं, पत्तो गइमणुत्तरं ॥४३॥ सहस्रों राजाओं के साथ श्रेष्ठ त्यागी जय चक्रवर्ती ने राज्य का परित्याग किया और जिनोक्त संयम का आचरण करके मुक्ति प्राप्त की ॥४३॥ The best renouncer monarch Jaya, with thousands of kings, abandoned his whole kingdom and practised restrain, as precepted by Jinas-the Jain monk-order and completing his human-duration attained salvation. (43) दसण्णरज्जं मुइयं, चइत्ताण मुणी चरे । दसण्णभद्दो निक्खन्तो, सक्खं सक्केण चोइओ ॥४४॥ साक्षात् शक्रेन्द्र द्वारा प्रेरित हुए दशार्णभद्र राजा ने प्रमुदित मन से अपने दशार्ण देश को छोड़कर प्रव्रज्या ग्रहण की और मुनिधर्म का आचरण किया ॥४४॥ Inspired by Sakra (the king of gods of first heaven) himself, the king Daśārņabhadra, ruler of Daśārņa country, renouncing his flourishing state, accepted consecration and practised monk-conduct. (44) नमी नमेइ अप्पाणं, सक्खं सक्केण चोइओ । चइऊण गेहं वइदेही, सामण्णे पज्जुवट्ठिओ ॥४५॥ विदेहराज नमि राजर्षि ने साक्षात् इन्द्र द्वारा प्रेरित किये जाने पर भी अपना राजभवन और सम्पूर्ण राज्य छोड़कर अपनी आत्मा को नमित किया और श्रमणत्व में सम्पूर्ण रूप से स्थिर हो गये ||४५॥ Even directed by Sakra himself (not to be an ascetic) the ruler of Videha country, abandoning his whole kingdom and palaces humbled his own soul and became fixed in sagehood. (45) करकण्डू कलिंगेसु, पंचालेसु य दुम्मुहो । नमी राया विदेहेसु, गन्धारेसु य नग्गई ॥४६॥ कलिंग देश में करकण्डु, पांचाल देश में राजा द्विमुख, विदेह राज्य में नमिराज और गांधार देश में नग्गति राजा ॥४६॥ King Karakandu of Kalinga country, king Dvimukha of Pārcāla country, king Nami of Vidcha country and king Naggati of Gāndhăra country-(46) Jain Education international For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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