Book Title: Agam 30 Mool 03 Uttaradhyayana Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Atmagyan Pith

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Page 568
________________ चतुस्त्रिंश अध्ययन [४६४ ती सचित्र उत्तराध्ययन सूत्र खजूर-मुद्दियरसो, खीररसो खण्ड-सक्कररसो वा । एत्तो वि अणन्तगुणो, रसो उ सुक्काए नायव्वो ॥१५॥ खजूर और द्राक्षा, दूध, खांड-शक्कर का जैसा रस (स्वाद) होता है उससे भी अनन्तगुणा अधिक मीठा रस शुक्ल लेश्या का होता है ॥१५॥ The taste of white tinge is infinitely more sweet than that of dates, grapes, milk and candied and pounded sugar. (15) (४) गन्धद्वार जह गोमडस्स गन्धो, सुणगमडगस्स व जहा अहिमडस्स । एत्तो वि अणन्तगुणो, लेसाणं अप्पसत्थाणं ॥१६॥ ___ मृत गाय की, मरे हुए कुत्ते की, मरे हुए सर्प की जैसी गंध (दुर्गन्ध) होती है उससे भी अनन्तगुणी अधिक दुर्गन्ध तीन अप्रशस्त (कृष्ण, नील, कापोत) लेश्याओं की होती है ॥१६॥ The smell of three inauspicious tinges (black, blue and grey) is infinitely more worse than the bad smell of corpses of cow, dog and serpent. (16) जह सुरहिकुसुमगन्धो, गन्धवासाण पिस्समाणाणं । एत्तो वि अणन्तगुणो, पसत्थलेसाण तिण्हं पि ॥१७॥ सुरभित कुसुमों की गंध, पीसे जाते हुए सुगन्धित गन्ध द्रव्यों की जैसी गन्ध (सुगन्ध) होती है उससे भी अनन्तगुणी अधिक सुगन्ध तीन प्रशस्त (तेजस्, पद्म और शुक्ल) लेश्याओं की होती है ॥१७॥ The smell of three auspicious tinges (red, yellow and white) is infinitely more pleasant than that of fragrant flowers and perfumes when they are grinded. (17) (५) स्पर्शद्वार जह करगयस्स फासो, गोजिब्भाए व सागपत्ताणं । एत्तो वि अणन्तगुणो, लेसाणं अप्पसत्थाणं ॥१८॥ करवत (करौत) का, गाय की जीभ का, शाक नामक वनस्पति के पत्तों का जैसा कर्कश स्पर्श होता है उससे भी अनन्तगुणा अधिक कर्कश स्पर्श तीनों अप्रशस्त (कृष्ण, नील, कापोत) लेश्याओं का होता है |॥१८॥ The touch of three inauspicious tinges is infinitely more harsh (screeching) than that of saw, tongue of cow and the leaf of vegetable name saka-teak tree. (18) जह बूरस्स व फासो, नवणीयस्स व सिरीसकुसुमाणं । एत्तो वि अणन्तगुणो, पसत्थलेसाण तिण्हं पि ॥१९॥ बूर (एक विशेष वनस्पति), नवनीत (मक्खन) शिरीष के पुष्पों का जैसा मृदुल-कोमल स्पर्श होता है उससे भी अनन्तगुणा कोमल स्पर्श तीन प्रशस्त (तेजस्, पद्म और शुक्ल) लेश्याओं का होता है ॥१९॥ The touch of three auspicious tinges is infinitely more soothing-pleasant than that of bura vegetable, cotton, butter and the flowers of sirisa. (19) Jain Educalon hternational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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