Book Title: Agam 30 Mool 03 Uttaradhyayana Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Atmagyan Pith

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Page 607
________________ ५०१ ] षट्त्रिंश अध्ययन सचित्र उत्तराध्ययन सूत्र हरिताल हिंगुल, मेनसिल सासक ( अथवा सस्यक - एक धातु ) अंजन प्रवाल- मूँगा अभ्रपटल - अभ्रक अभ्रबालुका - अभ्रक की परतों में चिपकी- मिली हुई बालू तथा विविध प्रकार की मणियाँ भी बादर पृथ्वीकाय में ही परिगणित होती हैं ॥ ७४ ॥ Orpiment, vermillion, realgar, säsaka (or sasyaka-a kind of metal), antimony or collyrium, coral, mica, sand sticked to mica-plates and various types of gems are enumerated in earth-bodied beings- (74) गोमेज्जए य रुयगे, अंके फलिहे य लोहियक्के य । मरगय-मसारगल्ले, भुयमोयग - इन्दनीले य ॥७५॥ यथा - गोमेदक रुचक अंक (रत्न) स्फटिक लोहिताक्ष मरकत मसारगल्ल भुजमोचक इन्द्रनील - ॥ ७५ ॥ As-hyacinth, natron, arika, crystal, lohitāksa, emerald, masāragalla, bhujamocaka, and sapphire-(75) चन्दण- गेरुय-हंसगब्भ, पुलए सोगन्धिए य बोद्धव्वे । चन्दप्पह-वेरुलिए, जलकन्ते सूरकन्ते य ॥७६॥ चन्दन गेरुक या हंसगर्भ पुलक सौगन्धिक चन्द्रप्रभ वैडूर्य, जलकान्त और सूर्यकान्त ॥ ७६ ॥ Candana, red chalk, pulaka and sulphur, candraprabha, lapis lazuli, jalakänta and sūryakanta. (76) छत्तीसमाहिया । एगविहमणाणत्ता, सुहुमा तत्थ वियाहिया ॥७७॥ एए खरपुढवीए, भेया ये छत्तीस भेद (प्रकार) खर (कठोर ) पृथ्वीकाय के कहे गये हैं। उन दोनों (पृथ्वीकाय के भेदों) में सूक्ष्म पृथ्वीकाय अनानात्व (अनेक प्रकार के भेदों से रहित ) एक ही प्रकार की कही गयी है || ७७ || These thirtysix kinds are said of rough earth-bodied species. Among those two kinds of earth-bodieds (subtle and gross ), the subtle earth-bodieds are of only one kind. (77) सुहुमा सव्वलोगम्मि, लोगदेसे य बायरा । इत्तो कालविभागं तु, तेसिं वुच्छं चउव्विहं ॥ ७८ ॥ सूक्ष्म पृथ्वीकायिक जीव समस्त लोक में व्याप्त हैं किन्तु बादर पृथ्वीकायिक जीव लोक के एक देश में ही हैं। अब यहाँ से आगे मैं इन ( पृथ्वीकायिक जीवों) के चार प्रकार के काल विभाग का वर्णन करूँगा ॥ ७८ ॥ Subtle earth-bodied species are filled in whole world (loka) while gross ones are in a part of it. Now further I shall describe the fourfold divisions of (gross earth-bodied beings) these with regard to time. (78) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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