Book Title: Agam 30 Mool 03 Uttaradhyayana Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Atmagyan Pith

View full book text
Previous | Next

Page 633
________________ ५२७] षट्त्रिंश अध्ययन सचित्र उत्तराध्ययन सूत्र भवनवासी देव दस प्रकार के कहे गये हैं, यथा - ( १ ) असुरकुमार ( २ ) नागकुमार (३) सुपर्णकुमार (सुवण्णा) (४) विद्युतकुमार (विज्जू) (५) अग्निकुमार (अग्गी) (६) द्वीपकुमार (७) उदधिकुमार (८) दिक्कुमार (९ ) वायुकुमार (वाया) और (90) स्तनित कुमार ( थणिया ) ॥ २०६ ॥ (1) Asurakumāra ( 2 ) Nāgakumara, ( 3 ) Suparnakumara (4) Vidyutkumāra (5) Agnikumāra (6) Dvipakumāra (7) Udadhikumāra (8) Dikkumāra (9) Vayukumāra and (10) Stanita kumära—these are ten kinds of Bhavanavāsī gods. (206) पिसाय- भूय- जक्खा य, रक्खसा किंन्नरा य किंपुरिसा । महोरगा य गन्धव्वा, अट्ठविहा वाणमन्तरा ॥ २०७॥ वाणव्यंतर (व्यन्तर) देव आठ प्रकार के होते हैं, यथा - (१) पिशाच (२) भूत (३) यक्ष (४) राक्षस (५) किन्नर (६) किंपुरुष (७) महोरग और (८) गन्धर्व ॥ २०७॥ (1) Piśāca (2) Bhūta (3) Yaksa (4) Raksasa (5) Kinnara ( 6 ) Kirpurusa (7) Mahoraga and (8) Gandarbha - these are eight kinds of Vānavyantara (vyantara) gods. (207) चन्दा सूरा य नक्खत्ता, गहा तारागणा तहा । दिसाविचारिणो चेव, पंचहा जोइसालया ॥ २०८ ॥ ज्योतिष्क (ज्योतिषी) देव पाँच प्रकार के हैं, यथा - ( १ ) चन्द्र (२) सूर्य (३) नक्षत्र (४) ग्रह और (५) तारा गण। इन पाँचों प्रकार के ज्योतिषी देवों के विमान (आलय) भ्रमणशील (दिसाविचारी) (मेरु पर्वत की प्रदक्षिणा करते ) हैं ॥२०८॥ ( आ. उ. ऋ. प्रति में दिसाविचारी के स्थान पर दिये गये 'ठिया वि चारी, पाठ के अनुसार अर्थ होगाइन पाँचों प्रकार के ज्योतिषी देवों के विमान स्थिर (ठिया) भी (वि) हैं और चर - गतिशील - भ्रमणशील (चारी) भी हैं।) (1) Moon, (2) sun (3) nakSatra (4) planets and (5) hosts of stars - these are five kinds of Jyotiși gods. The dwellings, palaces or planes of these gods are moving. (If the word 'thiyā vi cāri', is substituted for the word 'disavicāri' in the original couplet as we get a. u. Į reading then the explanation would be-These dwellings of five kinds of Jyotiși gods are also still and also moving -and it seems more appropriate.) (208) माणिया उ जे देवा, दुविहा ते वियाहिया । कप्पोवगा य बोद्धव्वा, कप्पाईया तहेव य ॥ २०९॥ जो वैमानिक देव हैं, वे दो प्रकार के कहे गये हैं- (१) कल्पोपगक (कल्पोपपन्न) और (२) कल्पातीतजानने चाहिए || २०९ ॥ Vaimānika gods are of two kinds - (1) who are born in (twelve ) heavens ( kalpas ) (kalpopapanna) and (2) those born above the dwellings of heavens. (kalpātīta). (209) बारसहा, सोहम्मीसाणगा तहा । कप्पोवा सणकुमार- माहिन्दा, बम्भलोगा य लन्तगा ॥ २१०॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelidranforg

Loading...

Page Navigation
1 ... 631 632 633 634 635 636 637 638 639 640 641 642 643 644 645 646 647 648 649 650 651 652