Book Title: Agam 30 Mool 03 Uttaradhyayana Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Atmagyan Pith

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Page 636
________________ सचित्र उत्तराध्ययन सूत्र ज्योतिष्क (ज्योतिषी) देवों की उत्कृष्ट आयुस्थिति एक लाख वर्ष अधिक एक पल्योपम की और जघन्य आयुस्थिति पल्योपम के आठवें भाग प्रमाण होती है || २२१॥ षट्त्रिंश अध्ययन [ ५३० Longest age duration of Jyotişka gods is one lakha years plus one palyopama and shortest is of eighth part of one palyopama. (221) दो चेव सागराई, उक्कोसेण वियाहिया । सोहम्मंमि जहन्नेणं, एगं च पलिओवमं ॥ २२२॥ सौधर्म (देवलोक में) देवों की उत्कृष्ट आयुस्थिति दो सागरोपम की और जघन्य आयुस्थिति एक पल्योपम की बताई गई है ॥२२२॥ Longest age duration of the gods of Saudharma heaven is of two sāgaropamas and shortest is of one palyopama. (222) सागरा साहिया दुत्रि, उक्कोसेण वियाहिया । ईसाणम्मि जहन्नेणं, साहियं पलिओवमं ॥२२३॥ ईशान (देवलोक में) देवों की उत्कृष्ट आयुस्थिति कुछ अधिक दो सागरोपम की और जघन्य आयु स्थिति कुछ अधिक एक पल्योपम की होती है ॥२२३॥ Longest age duration of the gods of Isana heaven is somewhat more than two sāgaropamas and shortest is of somewhat more than one palyopama. (223) सागराणि य सत्तेव, उक्कोसेण ठिई भवे । सकुमारे जहन्नेणं, दुन्नि ऊ सागरोवमा ॥ २२४॥ सनत्कुमार देवलोक के देवों की उत्कृष्ट आयुस्थिति सात सागरोपम की और जघन्य आयुस्थिति दो सागरोपम की होती है ॥२२४॥ Longest age duration of the gods of Sanatkumara heaven is of seven sägaropamas and shortest is of two sāgaropamas. (224) Jain Education International साहिया सागरा सत्त, उक्कोसेण ठिई भवे । माहिन्दम्मि जहन्नेणं, साहिया दुन्नि सागरा ॥२२५॥ माहेन्द्रकुमार स्वर्ग के देवों की उत्कृष्ट आयुस्थिति कुछ अधिक सात सागरोपम की और जघन्य आयुस्थिति कुछ अधिक दो सागरोपम की होती है ॥२२५॥ Longest age duration of the gods of Mahendra heaven is somewhat more than seven sāgaropamas and shortest age duration is somewhat more than two sågaropamas. (225) दस चेव सागराई, उक्कोसेण ठिई भवे । बम्भलोए जहन्नेणं, सत्त ऊ सागरोवमा ॥२२६॥ ब्रह्मदेवलोक के देवों की उत्कृष्ट आयुस्थिति दस सागरोपम की और जघन्य आयुस्थिति सात सागरोपम की होती है ॥२२६॥ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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