Book Title: Agam 30 Mool 03 Uttaradhyayana Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Atmagyan Pith

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Page 606
________________ षट्त्रिंश अध्ययन [५०० in सचित्र उत्तराध्ययन सूत्र स्थावर जीव तीन प्रकार के हैं-(१) पृथ्वीकायिक (२) जलकायिक और (३) वनस्पतिकायिक । अब इनके भेद (प्रकार) मुझसे सुनो ॥६९॥ Immobile beings are of three kinds-(1) earth-bodied (20 water-bodied and (3) plants-vegetable-bodied. Now hear from me the sub-divisions of all these. (69) पृथ्वीकाय की प्ररूपणा दुविहा पुढवीजीवा उ, सुहुमा बायरा तहा । पज्जत्तमपज्जत्ता, एवमेए दुहा पुणो ॥७०॥ पृथ्वीकायिक जीव दो प्रकार के हैं-(१) सूक्ष्म और (२) बादर। इन दोनों प्रकार के दो-दो भेद हैं-(१) पर्याप्त और (२) अपर्याप्त ॥७॥ Earth-bodied souls are of two kinds-(1) subtle and (2) gross. These both are also of two types-(1) developed fully (paryāpta) and undeveloped (aparyāpta). (70) बायरा जे उ पज्जत्ता, दुविहा ते वियाहिया । सण्हा खरा य बोद्धव्वा, सण्हा सत्तविहा तहिं ॥७१॥ बादर पर्याप्त पृथ्वीकायिक जीव दो प्रकार के कहे गये हैं-(१) श्लक्ष्ण-कोमल और (२) खर-कठिन। इन दोनों में भी श्लक्ष्ण (मृदु अथवा कोमल) के सात भेद जानने चाहिए ॥७१।। Gross earth bodied fully developed living beings are said of two kinds-(1) smooth and (2) rough. Among these smooth are of seven types. (71) किण्हा नीला य रुहिरा य, हालिद्दा सुक्किला तहा । पण्डु-पणगमट्टिया, खरा छत्तीसईविहा ॥७२॥ (मृदु पृथ्वी मिट्टी) के सात भेद-(१) काली (२) नीली (३) लाल (४) पीली (५) श्वेत-शुक्ल-सफेद (६) पाण्डु-भूरी और (७) पनक (मिट्टी)-अत्यन्त सूक्ष्म रजा तथा खर-कठिन पृथ्वी (मिट्टी) छत्तीस प्रकार की है ॥७२॥ The seven types of smooth earth-bodied are-(1) black, (2) blue, (3) red, (4) yellow (5) white (6) pale and (7) subtle dust (clay). And rough is of thirtysix types. (72) पुढवी य सक्करा बालुया य, उवले सिला य लोणूसे । अय-तम्ब-तउय-सीसग-, रुप्प-सुवण्णे य वइरे य ॥७३॥ शुद्ध पृथ्वी शर्करा-कंकड़ वाली-कंकरीली बालू-रेत उपल-पत्थर-पाषाण शिला-चट्टान लोणु-लवण ऊस-क्षार (नौनी मिट्टी) अय-लोहा, ताँबा, रांगा, सीसा, चाँदी-रजत, स्वर्ण और वज्र-हीरा-॥७३॥ ___Pure earth, gravel, sand, stones, rocks, rock-salt, iron, tin, copper, lead, silver, gold and diamond-(73) हरियाले हिंगुलुए, मणोसिला सासगंजण-पवाले । अब्भपडलऽब्भवालुय, बायरकाए मणिविहाणा ॥७४॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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