Book Title: Agam 30 Mool 03 Uttaradhyayana Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Atmagyan Pith

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Page 626
________________ सचित्र उत्तराध्ययन सूत्र जो पंचिन्द्रिय तिर्यंच जीव हैं, वे दो प्रकार के कहे गये हैं- ( १ ) संमूर्च्छिम तिर्यंच पंचेन्द्रिय जीव और (२) गर्भ व्युत्क्रान्तिक (गर्भज) पंचेन्द्रिय तिर्यंच जीव ॥ १७० ॥ षट्त्रिंश अध्ययन [ ५२० Five sensed crooked beings or animals are of two kinds-(1) which originate by generatio aequivoca (sarimūrcchima) and (2) born from the womb. (170) दुविहावि ते भवे तिविहा, जलयरा थलयरा तहा । खहयरा य बोद्धव्वा, तेसिं भेए सुणेह मे ॥ १७१ ॥ ये दोनों प्रकार के (गर्भज और संमूर्च्छिम ) पंचिन्द्रिय जीवों के तीन प्रकार और जानने चाहिए - (१) जलचर (२) थलचर (स्थलचर) और (३) नभचर । इन तीनों के भेद मुझ से सुनो ॥ १७१ ॥ Either of them are again of three kinds - (1) aquatic (2) terrestrial and (3) aerial animals. Hear the sub-divisions of these from me. (171) तिर्यंच पंचेन्द्रिय जलचर जीव मच्छा य कच्छभा य, गाहा य मगरा तहा । सुमाराय बोद्धव्वा, पंचहा जलयराहिया ॥ १७२॥ जल में विचरण करने वाले तिर्यंच पंचेन्द्रिय जलचर जीव पांच प्रकार के कहे गये हैं- (१) मत्स्य, (२) कछुआ, (३) ग्राह-घड़ियाल, (४) मगरमच्छ और (५) सुंसुमार - ये पाँच प्रकार जानने चाहिए || १७२ || Moving, swimming, living in water five sensed aquatic animals are of five kinds-(1) fishes (2) tortoises (3) crocodiles (4) makaras and (5) Gangetic porpoises. (172) लोएगदेसे ते सव्वे, न सव्वत्थ वियाहिया एत्तो कालविभागं तु, वुच्छं तेसिं चउव्विहं ॥१७३॥ ये सभी लोक के एक देश (अंश या भाग) में ही हैं, समस्त लोक में नहीं होते - ऐसा कहा गया है। इससे आगे अब मैं इन जलचर जीवों का काल विभाग चार प्रकार से कहूँगा || १७३॥ These all are in a part of universe (loka) not in whole universe. Now further I shall describe fourfold divisions regarding time of all these. (173) संतई पप्पऽणाईया, अपज्जवसिया वि य । ठि पडुच्च साईया, सपज्जवसिया वि य ॥१७४॥ संतति - प्रवाह की अपेक्षा ये जलचर जीव अनादि-अनन्त हैं और स्थिति की अपेक्षा सादि- सान्त भी हैं ॥१७४॥ By continuous flow these aquatic five-sensed animals have neither beginning nor end and due to individual age duration they have beginning and end too. (174) एगा य पुव्वकोडीओ, उक्कोसेण वियाहिया | आउट्ठई जलयराणं, अन्तोमुहुत्तं जहन्निया ॥ १७५ ॥ इन पंचेन्द्रिय जलचर जीवों की उत्कृष्ट आयुस्थिति एक करोड़ पूर्व (७०५६०००००००००० वर्ष), की है और जघन्य आयुस्थिति अन्तर्मुहूर्त प्रमाण बताई गई है || १७५ ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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