Book Title: Agam 30 Mool 03 Uttaradhyayana Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Atmagyan Pith

View full book text
Previous | Next

Page 627
________________ ५२१] षट्त्रिंश अध्ययन सचित्र उत्तराध्ययन सूत्र - Longest age duration of these aquatic animals is of one crore pūrva (70560000000000 years) and shortest is of antarmuhurta. (175) पुव्वकोडीपुहत्तं तु, उक्कोसेण वियाहिया । कायट्टिई जलयराणं, अन्तोमुहुत्तं जहनिया ॥१७॥ इन पंचेन्द्रिय जलचर जीवों की कायस्थिति जघन्यतः अन्तर्मुहूर्त की और उत्कृष्टतः पूर्व कोटि-पृथक्त्व (२ से९ करोड़ पूर्व) की बताई गई है ॥१७६॥ The shortest body duration of these five sensed aquatic animals is of antarmuhúrta and longest is of two to nine crore pūrvas. (176) अणन्तकालमुक्कोस, अन्तोमुहुत्तं जहन्नयं । विजढंमि सए काए, जलयराणं तु अन्तरं ॥१७७॥ स्वकाय-जलचरकाय छोड़कर तथा अन्य योनियों में भ्रमण करके पुनः जलचर काय में उत्पन्न होने तक का मध्यवर्ती अन्तराल-अन्तर जलचर जीवों का अन्तर अधिक से अधिक अनन्तकाल का और कम से कम अन्तर्मुहूर्त का होता है ॥१७७॥ Once quitting aquatic body and transmigrating in other species, again taking birth in aquatic body-the longest interval is of infinite time and shortest is of antarmuhūrta. (177) एएसिं वण्णओ चेव, गंधओ रसफासओ । संठाणादेसओ वा वि, विहाणाई सहस्ससो ॥१७॥ इन जलचर पंचेन्द्रिय जीवों के-वर्ण, गन्ध, रस, स्पर्श और संस्थान की अपेक्षा से हजारों प्रकार हो जाते हैं ॥१७॥ With reagard to colour, smell, taste, touch and form, there becomes thousands of kinds of these five sensed aquatic animals. (178) तिर्यच पंचेन्द्रिय स्थलचर जीव चउप्पया य परिसप्पा, दुविहा थलयरा भवे । चउप्पया चउविहा, ते मे कित्तयओ सुण ॥१७९॥ स्थलचर पंचेन्द्रिय तिर्यंच जीवों के दो प्रकार हैं-(१) चतुष्पाद और (२) परिसर्प। चतुष्पाद जीव चार प्रकार के होते हैं, उनका वर्णन मुझसे सुनो ॥१७९॥ Five sensed terrestrial animals are of two kinds-(1) quadrupeds and (2) reptiles. Quadrupeds five sensed animals are of four kinds. Hear from me the description of all these. (179) एगखुरा दुखुरा चेव, गण्डीपय-सणप्पया । हयमाइ-गोणमाइ-, गयमाइ-सीहमाइणो ॥१८॥ चतुष्पाद पंचेन्द्रिय जीवों के चार भेद-(१) एक खुरवाले (२) दो खुर वाले (३) गण्डीपद वाले और सनख पद वाले (इनके क्रमशः उदाहरण) (१) एक खुरवाले-घोड़ा, गर्दभ-गधा आदि (२) दो - Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 625 626 627 628 629 630 631 632 633 634 635 636 637 638 639 640 641 642 643 644 645 646 647 648 649 650 651 652