Book Title: Agam 30 Mool 03 Uttaradhyayana Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Atmagyan Pith

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Page 575
________________ ४६९] चतुस्त्रिंश अध्ययन सचित्र उत्तराध्ययन सूत्र in पद्मलेश्या की जघन्य स्थिति अर्द्धमुहूर्त (अन्तर्मुहूत) और उत्कृष्ट स्थिति एक मुहूर्त अधिक दस सागर की जाननी चाहिए ॥३८॥ The shortest duration of yellow tinge is half muhūrta or antarmuhúrta and longest is of ten sāgaras. (38) मुहुत्तद्धं तु जहन्ना, तेत्तीसं सागरा मुहुत्तऽहिया । उक्कोसा होइ ठिई, नायव्वा सुक्कलेसाए ॥३९॥ शुक्ल लेश्या की जघन्य स्थिति अर्धमुहूर्त (अन्तर्मुहूर्त) और उत्कृष्ट स्थिति एक मुहूर्त अधिक तेतीस सागर की जाननी चाहिए ॥३९॥ The shortest duration of white tinge is half muhurta or antarmuhurta and longest is thirtythree sägaras plus one muhurta. (39) गति की अपेक्षा लेश्याओं की स्थिति एसा खलु लेसाणं, ओहेण ठिई उ वण्णिया होई । चउसु वि गईसु एत्तो, लेसाण ठिइं तु वोच्छामि ॥४॥ यह (पूर्वोक्त) लेश्याओं की स्थिति का वर्णन औधिक (सामान्य) रूप से किया गया। अब (यहाँ से आगे) चारों गतियों में लेश्याओं की स्थिति का वर्णन करूँगा ॥४०॥ The aforesaid duration of tinges described generally; now I shall express the duration of tinges regarding four mundane existences. (40) दस वाससहस्साइं, काऊए ठिई जहनिया होइ । तिण्णुदही पलिओवमअसंखभागं च उक्कोसा ॥४१॥ कापोत लेश्या की जघन्य स्थिति दस हजार वर्ष की है और उत्कृष्ट स्थिति पल्योपम के असंख्यातवें भाग अधिक तीन सागर की होती है ॥४१॥ The minimum duration of grey tinge is ten thousand years and maximum duration is three sāgaras plus innumerable part of one palyopama. (41) तिण्णुदही पलियमसंखभागा जहन्नेण नीलठिई । दस उदही पलिओवमअसंखभागं च उक्कोसा ॥४२॥ नील लेश्या की जघन्य स्थिति पल्योपम के असंख्यातवें भाग अधिक तीन सागर और उत्कृष्ट स्थिति पल्योपम के असंख्यातवें भाग अधिक दस सागर की है ॥४२॥ The shortest duration of blue tinge is three sāgaras plus innumerable part of one palyopama and longest duration is ten sagaras plus innumerable part of one palyopama. (42) दस उदही पलियमसंखभागं जहनिया होइ । तेत्तीससागराई उक्कोसा, होइ किण्हाए ॥४३॥ ___ कृष्ण लेश्या की जघन्य स्थिति पल्योपम के असंख्यातवें भाग अधिक दस सागर और उत्कृष्ट स्थिति तेतीस सागर की होती है ॥४३॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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