Book Title: Agam 30 Mool 03 Uttaradhyayana Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Atmagyan Pith

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Page 450
________________ an सचित्र उत्तराध्ययन सूत्र अष्टाविंश अध्ययन [३४८ Right Faith Who verily believes the existence of these fundamental truths as taught and precepted, that is called right faith. (15) निसग्गुवएसरुई, आणारुई सुत्त-बीयरुइमेव । अभिगम-वित्थाररुई, किरिया-संखेव-धम्मरुई ॥१६॥ (रुचि की अपेक्षा वह सम्यक्त्व दस प्रकार का है) १. निसर्ग रुचि २. उपदेश रुचि ३. आज्ञा रुचि ४. सूत्र रुचि ५. बीज रुचि ६. अभिगम रुचि ७. विस्तार रुचि ८. क्रिया रुचि ९. संक्षेप रुचि और १0. धर्म रुचि ॥१६॥ (That right faith is ten-fold with the viewpoint of interests.) (1) nature, (2) instruction (3) command (4) study of sacred scriptures (5) seed (suggestion) (6) comprehension of the meaning of sacred texts (7) complete course of study (8) religious rituals-exercises (9) brief exposition and (10) the religion. (16) भूयत्थेणाहिगया, जीवाजीवा य पुण्णपावं च । सहसम्मुइयासवसंवरो य, रोएइ उ निसग्गो ॥१७॥ १. निसर्ग रुचि-किसी अन्य के उपदेश बिना स्वयं अपनी ही मति से हुए यथार्थ बोध से अवगत जीव, अजीव, पुण्य, पाप, आम्रव, संवर आदि तत्वों के प्रति जो सहज-नैसर्गिक रुचि होती है, वह निसर्ग रुचि है ॥१७॥ (1) Interest by nature-Who inherently (without the instruction of others) comprehends soul, matter, virtue, vice, influx of karmas and stoppage etc., is called interest by nature. (17) जो जिणदिठे भावे, चउविहे सद्दहाइ सयमेव । एमेव नऽन्नह त्ति य, निसग्गरुई ति नायव्वो ॥१८॥ जिनेन्द्र भगवान द्वारा देखे गये और उपदेश दिये गये भावों में तथा द्रव्य-क्षेत्र-काल-भाव से विशिष्ट पदार्थों के विषय में कि यह ऐसा ही है अन्यथा नहीं है, इस प्रकार की जो स्वतः स्फूर्त श्रद्धा है, उसे निसर्ग रुचि जानना चाहिए ॥१८॥ Seen and instructed the fundamentals by Jinas and by substance-space-time-reflections the special things, the inherent belief in all these, it is interest by nature. (18) एए चेव उ भावे, उवइढे जो परेण सद्दहई । छउमत्थेण जिणेण व, उवएसरुइ त्ति नायव्वो ॥१९॥ २. उपदेश रुचि-जो जिनेन्द्र भगवान अथवा अन्य छद्मस्थों के उपदेश से जीवादि भावों में श्रद्धा करता है, वह उपदेश रुचि जाननी चाहिए ॥१९॥ (2) Interest to instructions-Who believes on the instructions of Jinas and their learned followers, that should be understood as interest in instructions. (19) Jarl Ed!cation International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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