Book Title: Agam 30 Mool 03 Uttaradhyayana Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Atmagyan Pith

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Page 565
________________ ४६१] चतुस्त्रिंश अध्ययन सचित्र उत्तराध्ययन सूत्र चउतीसइम : लेसज्झयणं चतुरिंश अध्ययन : लेश्याध्ययन लेसज्झयणं पवक्खामि, आणुपुट्विं जहक्कम । छह पि कम्मलेसाणं, अणुभावे सुणेह मे ॥१॥ मैं आनुपूर्वी के क्रमानुसार-यथाक्रम से लेश्याओं के प्रतिपादक अध्ययन का कथन करूँगा। कर्म (की स्थिति विधायक) छह लेश्याओं के रस-विशेष-अनुभावों को मुझसे सुनो ॥१॥ I will express in due order the chapter demonstrating tinges. (Tinges are legislative of karmas's duration) hear from me the fruitions-consequences of these six tinges. (1) नामाई वण्ण-रस-गन्ध-, फास-परिणाम-लक्खणं । ठाणं ठिई गई चाउं, लेसाणं तु सुणेह मे ॥२॥ नाम, वर्ण (रंग), रस, गन्ध; स्पर्श, परिणाम, लक्षण, स्थान, स्थिति, गति और आयु-इन द्वारों के माध्यम से लेश्याओं के विषय में मुझसे सुनो ॥२॥ Name, colour, taste, smell, touch, pariņāma, symptom, place, duration, existence and ayu-by the medium of these ways (dvāras) hear from me all about tinges. (2) (१) नामद्वार किण्हा नीला य काऊ य, तेऊ पम्हा तहेव य । सुक्कलेसा य छट्ठा उ, नामाइं तु जहक्कमं ॥३॥ (१) कृष्ण (२) नील (३) कापोत (४) तेजस् (५) पद्म और (६) शुक्ल-इन छह लेश्याओं के ये नाम यथाक्रम से-क्रमानुसार हैं ॥३॥ (1) Black (2) Blue (3) Kapota (4) Tejas (5) Padma (6) White (Sukla)-these six names of the tinges are in due course. (3) (२) वर्णद्वार जीमूयनिद्धसंकासा, गवलऽरिट्ठगसन्निभा । खंजणंजण-नयणनिभा, किण्हलेसा उ वण्णओ ॥४॥ स्निग्ध (सजल) काले मेघ के समान, भैंस के सींग और अरिष्टक (काले रीठे, द्रोण काक) के सदृश, खंजन (गाड़ी के कीट, अथवा खंजन पक्षी), अंजन (काजल या सुरमा अथवा आँखों की पुतली) जैसा काला रंग (वर्ण) कृष्ण लेश्या का वर्ण है ॥४॥ The colour of black tinge is, like-a black cloud full of water, horns of he-buffalo, (fruits of) aristaka (sapindus detergens), eye of wagtail, sediment of cart, collyrium, pupil of eye. (4) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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