Book Title: Agam 30 Mool 03 Uttaradhyayana Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Atmagyan Pith

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Page 558
________________ सचित्र उत्तराध्ययन सूत्र यह (पूर्व गाथा में वर्णित ) स्थिति दोनों आवरणीय (ज्ञानावरणीय और दर्शनावरणीय) कर्मों की तथा वेदनीय और अन्तराय कर्म की बताई गई है ॥२०॥ The duration said in aforesaid couplet nineteen is of four karmas (of each separately) viz., - (1) Knowledge obstructing ( 2 ) perception obstructing (3) emotion evoking and (4) power hindering karmas. ( 20 ) त्रयस्त्रिंश अध्ययन [ ४५४ कोडिकोडिओ | उदहीसरिसनामाणं, सत्तरिं मोहणिज्जस्स उक्कोसा, अन्तोमुहुत्तं जहन्निया ॥२१॥ मोहनीय कर्म की उत्कृष्ट स्थिति सत्तर कोटा - कोटि सागरोपम की और जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त की बताई गई है ॥२१॥ The longest duration of Illusory karma is of seventy crores of crores sāgaropamas and short duration is of less than forty eight minutes. (21) तेत्तीस सागरोवमा, उक्कोसेण वियाहिया । ठिई उ आउकम्मस्स, अन्तोमुहुत्तं जहन्निया ॥२२॥ आयुकर्म की उत्कृष्ट स्थिति तेतीस सागरोपम की और जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त प्रमाण है ॥२२॥ The maximum duration of age determining karma is of thirty three sägaropamas and minimum duration is of less than fortyeight minutes. (22) उदहीसरिसनामाणं, वसई कोडिकोडिओ | नामगोत्ताणं उक्कोसा, अट्ठमुहुत्ता जहन्निया ॥२३॥ नाम और गोत्र कर्म की उत्कृष्ट स्थिति बीस कोटा- कोटि सागरोपम की है और जघन्य स्थिति आठ मुहूर्त की है ॥२३॥ The maximum duration of Form of body determining and Status determining karmas (of each-separately) is of twenty crores of crores sãgaropamas and minimum duration is of 48 x 8 = 384 minutes (eight muhūrtas) (23) Jain Education International सिद्धाणऽणन्तभागो य, अणुभागा हवन्ति उ । सव्वेसु विपएसग्गं, सव्वजीवेसुऽइच्छियं ॥२४॥ कर्मों के रस - विशेष - अनुभाग सिद्धों के अनन्तवें भाग जितने होते हैं और सभी अनुभागों में प्रदेशों के अग्र-परमाणुओं का परिमाण सभी ( भव्य - अभव्य जीवों से भी) से अधिक है ॥२४॥ The fruitions (rasa) of karmas are infinite part of perfected souls in number and the quantity of all the fruitions is more than all the empirical souls (bhavya-abhavaya-the souls may be liberated or may not be liberated). (24) तम्हा एएस कम्माणं, अणुभागे वियाणिया । एएसिं संवरे चेव, खवणे य जए बुहे ॥२५॥ For Private & Personal Use Only त्ति बेमि । www.jainelibrary.org

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