Book Title: Agam 30 Mool 03 Uttaradhyayana Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Atmagyan Pith

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Page 398
________________ सचित्र उत्तराध्ययन सूत्र इस प्रकार सभी संशयों के नष्ट होने पर घोर पराक्रमी केशी ने महायशस्वी गौतम को शिर से वन्दना कर - सिर झुकाकर - ॥८६॥ त्रयोविंश अध्ययन [ ३०० Thus pacified all the doubts the rigorous penancer Kesi bowing down his head to great famous Gautama-(86) भावओ । पंचमहव्वयधम्मं, sa पुरिमस्स पच्छिमंमी, मग्गे तत्थ सुहावहे ॥ ८७ ॥ प्रथम और अन्तिम जिनों द्वारा उपदेशित एवं सुखकारी पंच महाव्रत रूप धर्म को भाव सहित स्वीकार किया ॥८७॥ Accepted with heart five-vows as precepted by first and last Jinas. (87) केसी गोयमओ निच्चं, तम्मि आसि समागमे । सुय - सीलसमुक्करिसो, महत्थऽत्थविणिच्छओ ॥८८॥ तिन्दुक उद्यान में केशी और गौतम - दोनों के सतत समागम (मिलन) में श्रुत और शील का उत्कर्ष तथा महान तत्त्वों का विनिश्चय हुआ ॥ ८८ ॥ In the meeting and conversation of Kesi and Gautama in Tinduka park many doctrines of knowledge and conduct decided. ( 88 ) Jain Education International तोसिया परिसा सव्वा, सम्मग्गं समुवट्टिया । संया ते पसीयन्तु भयवं केसिगोयमे ॥ ८९ ॥ सम्पूर्ण परिषद प्रस्तुत धर्मचर्चा से सन्तुष्ट हुई और सन्मार्ग में समुद्यत हुई तथा स्तुति की कि केशी कुमारश्रमण और गणधर गौतम - दोनों हम पर प्रसन्न हों ॥ ८९ ॥ Whole assembly satisfied with this religious conversation and prepared to accept the right path, praised both of them and wished that 'May the venerables Kesi and Gautama pleased to us.' -Such I speak. For Private & Personal Use Only -त्ति बेमि । सभी ने उन दोनों की - ऐसा मैं कहता हूँ । www.jainelibrary.org

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