________________
आदिनाथ-चरित्र
प्रथम पव
सागर और अशोक का पुनजन्म । अशोक का हाथी के रूप में जन्म लेना ।
अशोक और सागर की पर जन्म में मुलाकात । सागरचन्द्र और प्रियदर्शना तीसरे आरेके अन्तमें फिर पैदा हुए, इसलिए वे नौसौ धनुष ऊँचे शरीरवाले एवं पल्योपमके दशमांश आयुष्यवाले युगलिथे हुए । उनके शरीर वज्रऋषम नाराच संहनन वाले और समचतुरस्त्र संस्थान वाले थे। मेघ-मालासे जिस तरह मेरु पर्वत शोभित होता है, उसी तरह जात्यवन्त सुवर्णकी कान्ति वाला उस सागरचन्द्रका जीव अपनी प्रियङ्ग रङ्गवाली स्त्री से शोभित होता था।
अशोकदत्त भी, अपने पूर्वजन्मके किये हुए कपटसे, उसी जगह, सफेद रंग और चार दाँतोंवाला देवहस्तीके समान हाथी हुआ । एक दिन वह हाथी अपनी मौजमें घूम रहा था। घूमतेघूमते उसने युग्मधर्मि अपने पूर्वजन्मके मित्र-सागरचन्द्र को देखा।
विमलवाहन पहला कुलकर-राजा ।
विमलवाहन और चन्द्रयशा का देहान्त । मित्र को देखतेही, उस हाथीका शरीर दर्शनरूपी अमृतधारासे व्याप्त सा हो उठा। बीजसे जिस तरह अंकुर की उत्पत्ति होती है ; उसी तरह उसमें स्नेहकी उत्पत्ति हुई। इसलिये उसने उसे, सुख मालूम हो इस तरह, अपनी सूंड से आलिङ्गन