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आदिनाथ चरित्र
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प्रथम पव
हृदयके भीतर खुशी समाती न हो, इसलिये वह स्वप्न - सम्बन्धी सारे वृत्तान्तको उद्गार करता हो, इस तरह यथार्थ हाल उन्होंने नाभि- राजको कह सुनाया । नाभिराज ने अपने सरल स्वभावके अनुसार स्वप्नका विचार करके — 'तुम्हारे उत्तम कुलकर - पुत्र होगा' ऐसा कहा ।
मरुदेवा माताके पास इन्द्रका आगमन
स्वप्नफल कथन ।
उस समय, स्वामीकी मात्र कुलकरपनसे ही सम्भावना की, यह अयुक्त है, अनुचिन. है, – ऐसे विचारकरके मानो कोपायमान हुए हों, इस तरह इन्द्रोंके आसन कम्पायमान हुए । हमारे आसन क्यों कम्पायमान हुए, इसका ख़याल करते ही — इस बातकी खोज दिमाग में करतेही, भगवानके च्यवनकी बात इन्द्रोंको ध्यानमें आगई – वे समझ गये कि, भगवान्का च्यवन हुआ है। इसी समय तत्काल इशारा किये हुए मित्रोंकी तरह, सब इन्द्र इकट्ठे होकर, भगवान् की माताको स्वप्नका अर्थ बताने के लिए वहाँ आये । वहाँ आतेही हाथ जोड़कर, जिस तरह वृत्तिकार सूत्रके अर्थको स्पष्ट करता है— सूत्रका खुलासा मतलब समझाता है, उसी तरह वे विनय-पूर्वक स्वप्नके अर्थको स्पष्ट करने लगे- अर्थात् स्वप्नका फल या ख़्वाब की ताबीर कहने लगे:
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हे स्वामिनी ! आपने स्वप्नमें पहले वृषभ - बैल देखा; इस कारण आपका पुत्र मोहरूपी पंक—कीच में फँसे हुए धर्म रूपी रथका उद्धार करनेमें समर्थ होगा। हाथी देखनेसे आपका पुत्र