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प्रथम पर्व
आदिनाथ-चरित्र समुद्र में से निकलनेवाले सूर्यके घोड़ोंका अनुसरण करते हुए सुन्दर घोड़े अच्छी चालोंसे चलते हुए निकले। धनाढ्य लोगोंके घरों में से निकलते हों, इस प्रकार अपनी अपनी आवाजोंसे आकाशको गुजाते हुए निकले। स्फटिक मणिके बीमले में से जिस तरह सर्प निकलता उस तरह बताढ्य पर्वतकी गुफा में से बलवान पैंदल भी निकले।
मिस्त्रा गुफा से बाहर निकलना । इस प्रकार पचास योजन अथवा चार सौ मोल लम्बी गुफा को पार करके, महाराज भरतेशने उत्तर भरतार्द्ध को विजय करने के लिये उत्तर खण्डमें प्रवेश किया। उस खण्डमे “अपात" नामक भील रहते थे। वे पृथ्वी पर रहने वाले दानवों जैसे धनाढ्य, पराक्रमी और महातेजस्वी थे। अनेक बड़ी बड़ी हवेलियों, शयन, आसन, और वाहन एवं बहुतसा सोना चाँदी होने के कारण कुवेरके गोती भाइयोंसे दीखते थे। वे बहु कुटुम्बी
और बहुतसे दास परिवार वाले थे और देवताओं के बगीचोंके वृक्षोंकी तरह कोई भी उनका पराभव कर न सकता था। बड़े गाडे के भारको खींचने वाले बड़े बड़े बैलोंकी तरह, वे अनेक युद्धोंमें अपनी शक्ति और पराक्रम प्रकाशित करते थे। निरन्तर जब यमराजके समान भरतपतिने उन पर बलात्कार से---जबदस्ती चढ़ाई की, तब अनिष्ट सूचक बहुतसे उत्पात होने लगे। चलती हुई चक्रवर्तीकी सेनाक भार से मानो पीड़ित हुई हो, इस