________________
प्रथम पर्व
४१६ आदिनाथ-चरित्र दूसरा,-अखण्ड चक्रवर्ती होनेका अभिमान इसका कारण है।
पहला,-कहीं अपने छोटे भाईसे हार गये, तब तो सारी हैकड़ी किरकिरी हो न जायगी? फिर वे संसारको अपना मुंह कैसे दिखला सकेंगे?
दूसरा,-सब जगहोंसे जीत कर आया हुआ मनुष्य अपनी भावी पराजयकी कल्पना तक नहीं कर सकता।
पहला,--इस भरतराज्यके मन्त्रियों में क्या कोई चूहे जैसा भी नहीं हैं।
दूसरा,- उसके यहाँ कुल-क्रमसे चले आते हुए बहुतसे बुद्धिमान मन्त्री हैं।
पहला, फिर साँपके मस्तकको खुजलानेको इच्छा करने वाले उस भरतराजाको मन्त्रियों ने क्यों नहीं रोका ?
दूसरा,-रोकना तो दूर, उन्होंने उलटा उनको इसके लिये प्रेरित किया है। क्योंकि होनहार ही कुछ ऐसी प्रतीत होती है।
नगर निवासियोंकी यह बाते सुनता हुआ सुवेग नगरके बाहर चला आया। नगर द्वारके पास ही उसे दोनों ऋषभ कुमारोंके युद्धकी बात इतिहासके समान इस प्रकार सुननेमें आयी, मानों देवता उसे सुना रहे हों। सुनते ही वह क्रोधके मारे जल्दी-जल्दी पैर आगे बढ़ाने लगा । इधर युद्ध की बात मी उसकी चालसे होड़ करती हुई तेजीके साथ फैलने लगी। सहज युद्ध की बात सुनते ही हरएक गाँव-नगरके वीर योद्धागण युद्धके लिये इस तरह तैयार होने लगे, मानों राजाने उन्हें तैयार होनेकी