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आदिनाथ-चरित्र
प्रथम पव
_ "हे विश्वसेन राजाके कुलभूषण स्वरूप, अचिरादेवीक पुत्र शान्तिनाथ भगवान् ! तुम मेरे कर्मोंकी शान्तिके निमित्त होओ।
"हे शूरराजाके वंशरूपी आकाशमें सूर्य के समान, श्रीदेवोके उदरसे उत्पन्न और कामदेवका उन्मथन करनेवाले जगत्पति कुन्थुनाथजी ! तुम्हारी जय हो।
"सुदर्शन राजाके पुत्र, और देवी-माता-रूपिणी शरद्दमोमें कुमुदके समान अरनाथजी! तुम मुझे संसारसे पार उतरनेका वैभव प्रदान करो। ____ "हे कुम्भराजा-रूपी समुद्र में अमृत कुम्भके समान और कर्मक्षय करने में महामलके समान प्रभावती देवीसे उत्पन्न मलिनाथजी तुम मुझे मोक्षलक्ष्मी प्रदान करो। ___"हे सुमित्र-राजा-रूपी हिमाचलमें पद्मद्रहके समान और पद्मावतीके पुत्र मुनिसुव्रत प्रभु ! मैं तुम्हें प्रणाम करता हूँ। ___“हे वप्रादेवी रूपिणो वज्रकी खानसे निकले हुए वज्रके समान, विजय राजाके पुत्र और जगत्से वन्दनीय चरण-कमलों वाले नमिप्रभु! मैं तुम्हें नमस्कार करता हूँ।
"हे समुद्र ( समुद्रविजय ) को आनन्द देनेवाले चन्द्रमाके समान, शिवादेवीके पुत्र और परम दयालु, मोक्षगामी अरिएनेमि भगवान! मैं तुम्हें नमस्कार करता हूँ।
"हे अश्वसेन राजाके कुलमें चूड़ामणि स्वरूप, वामादेवीके पुत्र पार्श्वनाथजी! मैं तुम्हें नमस्कार करता हूँ।
"हे सिद्धार्थ राजाके पुत्र, त्रिशला माताके हृदयको आश्वासन