Book Title: Acharang Sutra Part 01
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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पृष्ठ
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२८८
क्रं. विषय
पृष्ठ | क्रं. विषय । । विमोक्ष नामक आठवां ।
सातवां उद्देशक . अध्य यन २५२-३०५ | १६६. अचेल कल्प .. प्रथम उद्देशक
१६७. आहार पडिमा १५०. समनोज्ञ और असमनोज्ञ के
१६८. पादपोपगमन मरण का स्वरूप २६० साथ व्यवहार
२५२
आठवां उद्देशक . १५१. धर्म का आधार
२५६ | १६६. भक्त प्रत्याख्यान का स्वरूप २६२ १५२. तीन याम
२५७ / १७०. इंगित मरण का स्वरूप .२६६ द्वितीय उद्देशक
| उपधानश्रुत नामक नववा १५३. साधु के लिए अनाचरणीय और
अध्ययन ३०६-३४० अकल्पनीय .
प्रथम उद्देशक
३०७. -
| १७१. भगवान् की ध्यान साधना - तृतीय उद्देशक १५४. मध्यम अवस्था
१७२. भगवान् की विवेकयुक्त चर्या : ३१० १७३. निर्दोष आहार चर्या
३१३ १५५. समभाव में धर्म
१७४. अहिंसा युक्त क्रिया विधि ३१६ १५६. आहार करने का कारण २६७ १५७. अग्निकाय का सेवन अनाचरणीय २६६ |
द्वितीय उद्देशक
१७५. भगवान् की शय्या और आसन ३१७ चौथा उद्देशक | १७६. निद्रा-त्याग
३१६ १५८. उपधि की मर्यादा
| १७७. विविध-उपसर्ग
३२० १५६. आपवादिक पंडित मरण
तृतीय उद्देशक पांचवां उद्देशक
१७८. लाढ देश में विचरण । १६०. द्विवस्त्रधारी साधु का आचार २७७ | १७९. मोक्ष मार्ग में पराक्रम १६१. दोष युक्तआहार अग्राह्य
चौथा उद्देशक १६२. ग्लान वैयावृत्य ..
२७८ | १८०. शरीर ममत्व का त्याग ३३० छठा उद्देशक
१८१. भगवान् की तपाराधना ३३१ १६३. एक वस्त्रधारी साधु का आचार २८१ | १८२. निर्दोष आहार ग्रहण
३३४ १६४. आहार में अस्वादवृत्ति २८२ | १८३. भगवान् का आहार १६५. इंगित मरण साधना
२८३ | १८४. भगवान् की ध्यान साधना ३३७
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