Book Title: Acharang Sutra Part 01
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
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१६०.
[20] 88888888880000000000000000000000000000 क्रं. विषय
पृष्ठ | क्रं. विषय ७२. दुःख मुक्ति का उपाय ११९ | सम्यक्त्व नामक चौथा ७३. दुःखों का मूल-आरंभ १२२ | अध्ययन १५१-१७४ ७४. कर्मों से उपाधि
प्रथम उद्देशक द्वितीय उद्देशक
६६. अहिंसा धर्म का निरूपण . १५१ ७५. बंध और मोक्ष
६७. धर्माचरण . .. १५४ ७६. संयमी आत्मा की विशेषताएं १३० १८. लोकैषणा-त्याग
१५५ ७७. असंयत की चित्तवृत्ति
१३२ | द्वितीय उद्देशक . ७८. विषयभोगों की निःसारता १३३ | EE. आस्रव-परिस्रव
१५६ ७६. हिंसा का पाप ..
१३४ | १००. अनास्रव-अपरिस्रव १५७ ८०. कषायों की भयंकरता .
१०१. मृत्यु निश्चित है ...
१५६ ८१. पापों से विरत रहने की प्रेरणा १३५ | १०२. अनार्य का सिद्धान्त तृतीय उद्देशक
१०३. आर्य का सिद्धान्त ::१६१ ८२. प्रमाद-त्याग
तृतीय उद्देशक ८३. अहिंसा-पालन १३७ / १०४. दुःख, आरम्भं से
१६४ ८४. आत्मा का अतीत और भविष्य । |१०५. तप का महत्त्व
१६६ ८५. रति और अरति .
|१०६. क्रोध (कषाय) त्याग १६७ ८६. तू ही तेरा मित्र
चौथा उद्देशक ८७. आत्म-निग्रह
| १०७. संयम में पुरुषार्थ
१६८ ८८. सत्य ग्रहण की प्रेरणा
| १०८. ब्रह्मचर्य की महिमा. १७० ८६. दुःखों से मुक्ति १४३ | १०६. मोह की भयंकरता
१७० . चतुर्थ उद्देशक | ११०. सम्यक्त्व-प्राप्ति
१७१ ६०. कषाय त्याग
| लोकसार नामक पांचवां
१४४ ६१. प्रमत्त-अप्रमत्त
१४५
| अध्ययन १७४-२१७ ६२. कषाय-त्याग का फल
१४६
| प्रथम उद्देशक ६३. शस्त्र-अशस्त्र
१४७ | १११. कामभोगों की निस्सारता १७४ ६४. कषाय त्यागी की पहचान
१४८ | ११२. अज्ञानी जीव की मोहमूढ़ता
१७६ ६५. तीर्थंकरों का उपदेश १४६ / ११३. दोहरी मूर्खता
१७८
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