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________________ [22] . . पृष्ठ २८६ २८८ क्रं. विषय पृष्ठ | क्रं. विषय । । विमोक्ष नामक आठवां । सातवां उद्देशक . अध्य यन २५२-३०५ | १६६. अचेल कल्प .. प्रथम उद्देशक १६७. आहार पडिमा १५०. समनोज्ञ और असमनोज्ञ के १६८. पादपोपगमन मरण का स्वरूप २६० साथ व्यवहार २५२ आठवां उद्देशक . १५१. धर्म का आधार २५६ | १६६. भक्त प्रत्याख्यान का स्वरूप २६२ १५२. तीन याम २५७ / १७०. इंगित मरण का स्वरूप .२६६ द्वितीय उद्देशक | उपधानश्रुत नामक नववा १५३. साधु के लिए अनाचरणीय और अध्ययन ३०६-३४० अकल्पनीय . प्रथम उद्देशक ३०७. - | १७१. भगवान् की ध्यान साधना - तृतीय उद्देशक १५४. मध्यम अवस्था १७२. भगवान् की विवेकयुक्त चर्या : ३१० १७३. निर्दोष आहार चर्या ३१३ १५५. समभाव में धर्म १७४. अहिंसा युक्त क्रिया विधि ३१६ १५६. आहार करने का कारण २६७ १५७. अग्निकाय का सेवन अनाचरणीय २६६ | द्वितीय उद्देशक १७५. भगवान् की शय्या और आसन ३१७ चौथा उद्देशक | १७६. निद्रा-त्याग ३१६ १५८. उपधि की मर्यादा | १७७. विविध-उपसर्ग ३२० १५६. आपवादिक पंडित मरण तृतीय उद्देशक पांचवां उद्देशक १७८. लाढ देश में विचरण । १६०. द्विवस्त्रधारी साधु का आचार २७७ | १७९. मोक्ष मार्ग में पराक्रम १६१. दोष युक्तआहार अग्राह्य चौथा उद्देशक १६२. ग्लान वैयावृत्य .. २७८ | १८०. शरीर ममत्व का त्याग ३३० छठा उद्देशक १८१. भगवान् की तपाराधना ३३१ १६३. एक वस्त्रधारी साधु का आचार २८१ | १८२. निर्दोष आहार ग्रहण ३३४ १६४. आहार में अस्वादवृत्ति २८२ | १८३. भगवान् का आहार १६५. इंगित मरण साधना २८३ | १८४. भगवान् की ध्यान साधना ३३७ ३२६ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004184
Book TitleAcharang Sutra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2006
Total Pages366
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_acharang
File Size7 MB
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