________________
धनपाल का पाण्डित्य
इन्द्र ने जम्भ नामक दैत्य का वध किया था (198। इन्द्र ने बलादि असुरों को पराजित किया था (पृ. 35) । इन्द्र की पत्नी का नाम शची था, जो पुलोम ऋषि की पुत्री थी, अतः उसे पुलोमदुहिता भी कहा जाता है। इन्द्र के पुत्र का नाम जयन्त था (105)। इन्द्र विष्णु के ज्येष्ठ भ्राता थे, अतः शची को लक्ष्मी की ज्येष्ठजाया कहा गया है ।1 इन्द्र की नगरी अमरावती है (पृ. 40) । इन्द्र का वाहन ऐरावत हाथी है (पृ. 74) । एक हजार नेत्र होने से इन्द्र को सहस्राक्ष कहा गया है । इन्द्र ने निवात एवं कवच नामक असुरों के साथ युद्ध किया था। इन्द्र तथा वृत्रासुर के प्रसिद्ध संग्राम का उल्लेख भी प्राप्त होता है । अतः तिलकमंजरी में इन्द्र सम्बन्धी वैदिक एवं पौराणिक दोनों कथाओं का संकेत प्राप्त होता है।
उर्वशी
यह स्वर्ग की प्रमुख अप्सरा है ।। ऐरावत
यह इन्द्र का वाहन है। इसके अपरनाम सुरेन्द्रवाहन (74), ऐरावण (पृ. 54, 121), शतमन्युवाहन (78) है। ऐरावत की पत्नी का नाम अभ्रभू है (पृ. 57) । ऐरावत पर बैठे इन्द्र का उल्लेख आया है (पृ. 105)। ऐरावत की समुद्र से उत्पत्ति हुई थी तथा इन्द्र ने इसका अपहरण कर लिया था (पृ. 54)। कपिल
कपिल मुनि ने सगर के पुत्रों को अपने तेज से भस्मीभूत कर दिया था। इस कथा का उल्लेख किया गया है। कुबेर
यह स्वर्ग का कोषाध्यक्ष तथा नवनिधियों का स्वामी है (पृ. 57) यह उत्तर दिशा का अधिष्ठाता कहा गया है (पृ. 198) इसके अपरनाम धनद (406), वैश्रवण है 123, 198)। चैत्ररथ नामक इसका वन है । नलकूबर कुबेर
1. उपनीतश्च जन्मनिकुमारजयन्तस्य ज्येष्ठजायेति जातपुलकया पुलोमदुहितुः...
-तिलकमंजरी, पृ. 43 2. ऐरावताधिरूढः सहस्राक्ष इव साक्षादुपलक्ष्यमानः, -वही, पृ. 105 3. निवातकवचयुद्धमिव मुक्ताफलवन्द्र......"
-वही, पृ. 122 वृत्रमिवोपकण्ठलग्नवजानुविद्धफेनच्छटापहृतहृदयासु....... '
-वही पृ. 122 वही, पृ. 42, 172, 312 शतमखहृतरावणादिसहोदरोदन्त..."
- वही, पृ 54 7. वही, पृ. 9