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तिलकमंजरी, एक सांस्कृतिक अध्ययन
(5) मेले, त्योंहार, उत्सवादि
तिलकमंजरी में जन्ममहोत्सव, कामदेवोत्सव, कौमुदी महोत्सव, दीपोत्सवादि
का वर्णन किया गया है ।
जन्ममहोत्सव — पुत्र तथा पुत्री दोनों के जन्म पर महान उत्सव किया जाता था । यह उत्सव मास पर्यन्त चलता था ।" हरिवाहन के जन्मोत्सव का सजीव वर्णन किया गया है। हरिवाहन के जन्म का समाचार पाते ही समस्त नगर में उल्लास का वातावरण छा गया । घर-घर में काहल, शंख, झल्लरी मुरज पटहादि वाद्य बजाये गये । रंगावलियां सजायी गयी। राजा से पूर्णयान ग्रहण करने के लिए अन्तःपुर की वाखनिताओं में होड़ सी लग गयी । उत्सवों पर बेलाद् छीनकर जो वस्त्र आभूषणादि उतार लिए जाते उसे पूर्णपात्र कहा जाता था । 3 अन्तःपुर सहित नगर की सभी स्त्रियां श्रानन्द-विभोर होकर नृत्य करने लगी । पाठशालाओं में अवकाश घोषित कर दिया गया । कारागार से बन्दीजनों को मुक्त कर दिया गया । हर्षचरित में भी हर्ष के जन्म पर बंदियों को मुक्त करने का उल्लेख है ।
इसी प्रसंग में सूतिका - गृह तथा इस अवसर पर सम्पन्न किये जाने वाले मांगलिक कार्यों का वर्णन किया गया है। प्रसूति गृह के बाहर पल्लवों से ढके हुए दो मंगल कलश रखे गये थे । नंगी तलवारें लिए सैनिक उसकी रक्षा कर रहे थे,
दुष्ट वक्र दृष्टि से बचाव करने के लिए गुग्गुल धूप का धुंआ उठाया गया था, मंगल-गीतों का शोर हो रहा था, लौकिकाचार में कुशल वृद्धा स्त्रियां विभिन्न आदेश दे रही थी, जिनसे तत्काल सम्पन्न किये जाने वाले मांगलिक कार्यों का संकेत मिलता है । शिशु जन्म पर द्वार पर वन्दनमाला बांधी जाती थी, जगहजगह स्वस्तिक लिखे जाते, शांति जल छिड़का जाता था, षष्ठी देवी का अह्वान
-तिलकमंजरी, पृ. 168
1. (क) जन्मदिन महोत्सवश्री ..... (ख) वही, पृ 263, पृ 76-77
2. वही, पृ. 76-77
3. उत्सवेषु सुहृद्भिर्यद् बलादाकृष्य गृहयते । वस्त्रमाल्यादि तत्पूर्णपात्रं पूर्णनकं च यत् ....
- वही, पराग टीका, भाग 2, पृ. 182
वही, पृ. 76 वही, पृ. 77
- बाणभट्ट हर्षचरित, पृ. 129
4. कृताध्ययनभङ्गविद्वज्जन.... अन्तेवासिमण्डलानि । 5. विमोचिताशेषबन्धनः ....
6. मुक्तानि बन्धनवृन्दानि ....